उत्तराखंड में अब भूकंप आने से पहले ही अलर्ट जारी कर दिया जाएगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) की पहल पर नैनीताल जिले के रामनगर में अत्याधुनिक भूकंपीय वेधशाला बनाई जा रही है, जो भूकंप से पहले धरती के भीतर हो रही गतिविधियों को पहचानकर सायरन के ज़रिए चेतावनी देगी।
इस वेधशाला के लिए रामनगर तहसील परिसर में 300 वर्ग फीट भूमि चिह्नित की जा चुकी है। पहले यह वेधशाला रामनगर महाविद्यालय परिसर में स्थापित करने की योजना थी, लेकिन वहां उपयुक्त भूमि न मिलने के कारण स्थान बदला गया। एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि चुना गया स्थान सुविधाजनक और तकनीकी दृष्टि से उपयुक्त है।
यह वेधशाला न केवल भूकंप की तीव्रता और समय की जानकारी देगी, बल्कि अलर्ट सिस्टम के ज़रिए आसपास के इलाकों में लोगों को समय रहते सतर्क करेगी। यह प्रणाली भूकंपीय तरंगों को रिकॉर्ड कर अलर्ट सायरन बजाएगी, जिससे जान-माल की रक्षा संभव हो सकेगी।
रामनगर को यह वेधशाला इसलिए भी मिली है क्योंकि यह इलाका भूकंपीय फॉल्ट लाइन पर स्थित है। वर्ष 2020 में आईआईटी कानपुर की टीम ने नंदपुर गैबुआ क्षेत्र में सर्वे कर यह पाया था कि यहां 1505 में 7 से 8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, और भूगर्भीय आंकड़ों के अनुसार ऐसे क्षेत्रों में हर 500-600 साल में बड़े भूकंप की पुनरावृत्ति संभव होती है।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के तहत उत्तराखंड के आठ जिलों—हरिद्वार, टिहरी, चमोली, नैनीताल, बागेश्वर, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग और देहरादून—में ऐसे वेधशालाओं का निर्माण किया जाना है। रामनगर के अलावा रुड़की, देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, केदारनाथ और चकराता में भी वेधशालाएं स्थापित की जाएंगी। यह आधुनिक तकनीक आधारित पहल उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है।







