न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली महंगी (electricity will be expensive in UP) होने जा रही है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की ओर से 8 मार्च को दाखिल 2022-23 के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव, 2020-21 की ट्रू-अप याचिका व 2121-22 की एनुअल परफार्मेंस रिपोर्ट (एपीआर) को स्वीकार लिया है। विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधान के अनुसार आयोग को एआरआर स्वीकार करने के 120 दिन के भीतर नया टैरिफ आर्डर जारी करना होगा। चूंकि बिजली कंपनियों ने एआरआर के साथ टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है इसलिए नई दरों का दारोमदार अब आयोग पर ही है।
नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह, सदस्य कौशल किशोर शर्मा व वीके श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने बिजली कंपनियों का एआरआर स्वीकार करते हुए नई दरों (electricity will be expensive in UP) को लेकर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है। आयोग जल्द ही बिजली दर पर जनसुनवाई की तारीखें घोषित करेगा। इससे पहले आयोग के आदेशानुसार बिजली कंपनियों को एआरआर संबंधित सभी जानकारियां व आंकडे़ तीन दिन में समाचार पत्रों में प्रकाशित कराना होगा। उपभोक्ताओं व सभी हितधारकों को उस पर 15 दिन में आपत्तियां और सुझाव दाखिल करने का समय दिया जाएगा। आपत्तियां व सुझाव प्राप्त करने के बाद आयोग जनसुनवाई करेगा।
कंपनियों ने दिखाया है 6,700 करोड़ का घाटा
बिजली कंपनियों ने इस बार 17 प्रतिशत वितरण हानियाें के आधार 85,500 करोड़ रुपये का एआरआर दाखिल किया है। इसमें लगभग 6,700 करोड़ रुपये घाटा दिखाया गया है। चूंकि कई बार आदेश देने के बाद भी बिजली कंपनियों ने दरें (electricity will be expensive in UP) प्रस्तावित नहीं की हैं। ऐसे में अब गेंद आयोग के पाले में आ गई है।
दरें कम कराने को सक्रिय हुआ उपभोक्ता परिषद
बिजली की दरें बढ़ाने (electricity will be expensive in UP) की खबरों के बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद बिजली की दरों में कमी कराने के लिए सक्रिय हो गया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों के रवैये से साफ हो गया है कि वे उपभोक्ता परिषद की बिजली दरों में कमी की याचिका पर कोई जवाब नहीं देंगी। अब आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 20,596 करोड़ रुपये के एवज में दरों में कमी करे। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार को भी आगे आकर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत नियामक आयोग को बिजली दरों में कमी का निर्देश देना चाहिए।
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