अब इस उम्र में कर सकेंगे लड़कियों की शादी, पालन नहीं करेंगे तो कड़ी सजा भी मिलेगी। पढ़िए मोदी का बड़ा कदम

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नई दिल्ली : लड़कियों की शादी में अब उम्र से कोई समझौता नहीं कर सकेगा। कारण कोई भी हो, लेकिन अगर उसकी आड़ लेकर लड़की की शादी कम उम्र में की तो खैर नहीं होगी। केंद्र सरकार ने शादी की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इसके लिए संसद से मंजूरी दे दी गई है। इंतजार सिर्फ अब विधेयक बनने का है। अब अगर इसमें कोई समझौता हुआ तो कड़ी कार्रवाई भी होना तय है। यह सब लड़कियों को बोझ समझ कर उनकी उम्र की परवाह न कर शादी करने वालों के लिए बड़ा कदम है।

अभी देश में लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित है जबकि लड़कों की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है। लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ा कर 21 वर्ष करने से लड़कों और लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बराबर हो जाएगी।

अधिकांश जगह यह देखने में आता है कि लोग लड़कियों की लंबाई देखने से ही टेंशन में आ जाते हैैं और उनकी परवरिश की चिंता छोड़ शादी की चिंता करना शुरू कर देते हैैं। वह उनको बोझ समझने लगते हैैं और गुपचुप तरीके से उनकी शादी कर देते हैैं। ऐसे मामले पकड़ में आते हैैं तो पता चलता है कि लड़कियां पढऩा-लिखना चाहती थीं और घर वालों ने उनकी शादी जबरदस्ती कर दी। ऐसे मामलों की संख्या जब बढ़ी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका संज्ञान ले लिया। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जनता को संबोधन के दौरान लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के बारे में एलान कर दिया।

सुझाव देने को बनाई थी टास्क फोर्स

केंद्र सरकार ने यह कदम बहुत सोच-समझकर उठाया है। इस फैसले से पहले प्रधानमंत्री ने टास्क फोर्स का गठन कराया था। जिसमें यह संदेश दिया गया था कि जैसे जैसे नया भारत तरक्की कर रहा है महिलाओं के शिक्षा और कैरियर के क्षेत्र में आगे बढऩे के अवसर बन रहे हैं। ऐसे मे महिलाओं की सेहत और सशक्तीकरण को देखते हुए एक बार फिर लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाने की मांग उठ रही है। केंद्र सरकार ने शादी की उम्र और मातृत्व के बीच संबंध, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) कम करने और महिलाओं का पोषण स्तर बेहतर करने के लिए महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार होना ही चाहिए। इसी मंशा को देखते हुए 4 जून 2020 को टास्क फोर्स बनाई गई। इसमें लड़कियों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और शादी की आयु बढ़ाने के विचार शामिल थे।

कोर्ट में लंबित हैैं कई याचिकाएं

ऐसा नहीं है कि इसको लेकर मांग नहीं उठ रही थी। लड़कियों के विवाह के लिए न्यूनतम आयु बढ़ाकर लड़कों के बराबर करने की मांग कितनी थी कि इसकी तहकीकात कोर्ट में लंबित याचिकाएं देखकर ही लगाया जा सकता है। एक याचिका वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल कर रखी है जिस पर सरकार को नोटिस जारी हो चुका है। इसके अलावा एक याचिका राजस्थान हाई कोर्ट में भी लंबित है वहां भी हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। दोनों ही याचिकाओं में कम उम्र में शादी से लड़कियों के विकास और प्रगति में पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभाव की बात कहते हुए लड़कियों और लड़कों दोनों की शादी की उम्र एक समान 21 वर्ष करने की मांग की गई है।