रुहेलखंड के जाने माने हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद पागरानी खुश्लोक अस्पताल के माध्यम से लोगों का दर्द खत्म कर खुशियां बांट रहे हैं। डॉ विनोद के पिता का नाम मुरलीधर और मां का नाम लक्ष्मी देवी है। आठवीं तक की पढ़ाई उन्होंने उत्तम पब्लिक स्कूल में की। उसके बाद उन्होंने आर्मी स्कूल में प्रवेश ले लिया। 1993 में इंटर करने के बाद विनोद ने मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी शुरू की।
माँ का सपना था बेटा बने डॉक्टर
मेडिकल लाइन में जाने की उनकी कहानी बड़ी रोचक है। असल में विनोद शुरू से ही इंजीनियर बनना चाहते थे। स्कूल में भी उन्होंने इंजीनियरिंग के हिसाब से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। मगर उनकी माँ और बुआ विनोद और उनके बड़े भाई ललित को डॉक्टर बनाना चाहते थे। उस समय बरेली में डॉ ललित
मोहन आगा का नाम बड़ा मशहूर था।उनसे प्रभावित होकर ही विनोद के बड़े भाई का नाम ललित रखा गया था। आखिर मां की इच्छा को पूरा करने के लिए विनोद ने मेडिकल की कोचिंग ज्वाइन कर ली। जब वह कोचिंग में पहुंचे तो सभी उन्हें देखकर हैरान रह गए। हर कोई यह मान चुका था कि विनोद इंजीनियर ही बनेंगे।
बड़ी आनोखी है दो भाइयों की कहानी
डॉ विनोद की पढ़ाई के बारे में जानने के लिए उनके बड़े भाई डॉ ललित के बारे में भी जानना जरूरी है। दरअसल इन दोनों भाइयों की कहानी कुछ हटकर है। ललित विनोद से डेढ़ वर्ष बड़े जरूर हैं मगर दोनों ही शुरू से ही एक ही क्लास में पढ़े। दोनों के बीच ऐसी शानदार ट्यूनिंग रही कि देखने वाले भी हैरान हो जाते । उस समय घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण दोनों भाई किताब का एक ही सेट लेते थे। विनोद बोल बोल कर पढ़ाई करते थे। वहीं ललित सिर्फ सुनकर ही सब कंठस्थ कर लेते थे। उनकी मेमोरी का हर कोई कायल था। गिनती के दिन पढ़ाई करने के बाद भी वह हमेशा स्कूल में टॉप करते थे। इंटर की पढ़ाई भी दोनों ने किताबों के एक ही सेट से पूरी की। उसके बाद कोचिंग में भी यह सिलसिला जारी रहा। कड़ी मेहनत के दम पर दोनों ने मेडिकल इंट्रेंस पास कर लिया । विनोद का एसएन कॉलेज आगरा में नंबर आया तो ललित का लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज मेरठ में। उनके पिता चाहते थे कि दोनों भाई मेडिकल में भी साथ ही पढ़ाई करें। आखिर विनोद ने मेरठ ट्रांसफर ले लिया। एक बार फिर से पढ़ाई शुरु हो चुकी थी। मेडिकल में भी दोनों भाइयों ने किताबों का एक ही सेट लिया। ललित एक बार फिर से सिर्फ सुनकर ही पढ़ाई करते रहे। 1999 में दोनों भाइयों ने अपना एमबीबीएस पूरा किया। वर्ष 2000 में इन लोगों ने इंटर्नशिप पूरी की। फिर दोनों भाई पीजी की तैयारी में जुट गए। उस जमाने में रेडियोलोजी को टॉप ब्रांच माना जाता था। ऑर्थो का दूसरा और पीडिया का तीसरा नंबर था। डॉ ललित को पूरे यूपी में 17वीं और विनोद को 74वीं रैंक मिली। विनोद ने अपनी रुचि के अनुरूप आर्थोपेडिक और डॉ ललित ने पीडिया ब्रांच को चुना।
इंजीनियरिंग में रुचि के कारण चुना ऑर्थो
आर्थो ब्रांच लेने के पीछे भी एक दिलचस्प बात है। एमबीबीएस करने के दौरान विनोद का मन बिल्कुल भी पढ़ाई में नहीं लग रहा था। उनका इंजीनियरिंग मन बार बार उचट रहा था। अक्सर अपने एक इंजीनियर दोस्त से वो मेडिकल छोड़कर फिर से इंजीनियरिंग में जाने की चर्चा करते थे। इस दौरान उन्हें महसूस हुआ कि ऑर्थो में एक इंजीनियर की तरह अक्सर नट,बोल्ट, प्लेट आदि की जरूरत पड़ती है। इस ब्रांच में वो जीती जागती मशीनों को सही करेंगे। बस यह सोच ही उन्हें ऑर्थो में ले आई। वर्ष 2004 में विनोद ने झांसी से एमएस ऑर्थो की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद वो दिल्ली में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी और आर्थोस्कोपी सीखने चले गए। उस समय के लीडिंग सर्जन डॉ अशोक राजगोपाल के साथ डॉ विनोद ने फोर्टिस अस्पताल में एक साल तक काम किया। इस दौरान उन्होंने डॉ अशोक के साथ 1300 से ज्यादा घुटने बदले। इसके बाद उन्होंने अपोलो अस्पताल ज्वाइन कर लिया। यहां डॉ विनोद डॉ जितेंद्र खरबंदा के साथ रहे। डॉ विनोद कहते हैं कि डॉ खरबंदा ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने मुझे मानवीय मूल्यों की समझ दी। कैसे डॉक्टर की मीठी बोली लोगों को दर्द से राहत दे सकती है यह मुझे डॉ खरबंदा ने ही समझाया। इसी लिए आज खुशलोक अस्पताल अच्छी मेडिकल फैसिलिटी के साथ ही मानवीय मूल्यों के लिए भी जाना जाता है। यहां कम से कम खर्च में लोगों को बेहतरीन मेडिकल फैसिलिटी दी जाती है। हमारी कोशिश है कि पैसों के अभाव में कोई व्यक्ति इलाज से वंचित ना रह जाए।
2005 में हुई बरेली वापसी
वर्ष 2005 में बरेली में रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज शुरु हो रहा था। डॉ केशव अग्रवाल की कॉल पर डॉ विनोद ने कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में जॉइन कर लिया। 2006 में उन्होंने स्वतंत्र रूप से पागरानी क्लीनिक शुरू किया। इसके साथ ही डॉ एम खान अस्पताल में सर्जरी का काम शुरू कर दिया।
2011 में शुरू हुआ खुश्लोक अस्पताल
दिसंबर 2011 में उन्होंने अपने दोनों बड़े भाइयों डॉ ललित और संजय के साथ खुश्लोक अस्पताल की शुरुआत की। मॉडल टाउन पुलिस चौकी के पास सिंधी मार्केट के ठीक बगल में बने इस अस्पताल को
आर्किटेक्ट अनुपम सक्सेना ने डिजाइन किया है। अस्पताल का नाम डॉ विनोद के दादा लोक चंद और दादी खुशहाली देवी के नाम पर रखा गया। अस्पताल में संचालित मेडिकल स्टोर का नाम उनके परदादा श्री प्रीतोमल के नाम पर है। वहीं माता पिता के नाम पर अस्पताल को चलाने वाली कंपनी का नाम मुरलेक्स रखा गया।
पाकिस्तान से आया है परिवार
डॉ विनोद का परिवार मूल रूप से हैदराबाद का रहने वाला है। यह हैदराबाद आजादी के बाद पाकिस्तान में चला गया था। उनके दादा लोग जमींदार परिवार के थे। जवाहरलाल नेहरु से उनकी गजब की निकटता थी। आज भी नेहरू और उनके दादा के नजदीकी संबंध की कई निशानियां घर में हैं। आजादी के समय बटवारे के कारण यह लोग बरेली आ गए। उस समय पूरा परिवार खाली हाथ था। तंगहाली की स्थिति में परिवार ने चीनी का काम शुरू किया। मगर उसमें भारी घाटा उठाना पड़ा। ऐसी विषम परिस्थितियों में परिवार को चलाना बेहद कठिन था। परिवार चलाने के लिए विनोद के पिता ने बारहवीं के बाद ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी। जमीन बेचकर उन्होंने घी-तेल का व्यापार शुरू किया और धीरे धीरे कर परिवार को शहर के प्रतिष्ठित परिवार के रूप में स्थापित कर लिया।
डॉ मुक्ता हैं जीवन की अमूल्य निधि
वर्ष 2003 में डॉ विनोद की डॉ मुक्ता से शादी हुई। आज डॉ मुक्ता डॉ विनोद की सबसे बड़ी ताकत हैं।
अस्पताल के साथ ही यह परिवार लोक खुशहाली चैरिटेबल ट्रस्ट का संचालन भी करता है। डॉ विनोद कहते हैं कि डॉ मुक्ता बेहद आदर्शवादी महिला हैं। उनका मानना है कि इस ट्रस्ट को हम लोग पूरी ईमानदारी के साथ गरीब लोगों की भलाई के लिए संचालित करेंगे। हम सभी भाई इस ट्रस्ट में योगदान करते हैं। ताकि लोक कल्याण के काम को गति दी जा सके।
पूर्णकालिक डॉक्टर हैं अस्पताल की शान
अपनी स्थापना के महज कुछ वर्षों में ही खुश्लोक
शहर के टॉप अस्पतालों में शामिल हो चुका है।
अस्पताल में कैथ लैब, ईको लैब, आईसीयू, एनआईसीयू, डायलिसिस जैसी सुविधएं हैं। बरेली में कम ही अस्पताल हैं जिनमें फुल टाइम डाक्टर पैनल हो। खुश्लोक उनमें से एक है। यहां हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग डॉ विनोद पागरानी , नवजात शिशु एवं बाल रोग विभाग डॉ ललित पागरानी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग डॉ सुनीता पागरानी, नाक कान व गला लोग रोग विभाग डॉ मुक्ता पागरानी, न्यूरो सर्जरी विभाग डॉ समीर चंद्रा, पैथोलॉजी विभाग डॉ अंशु गोयल और डॉ जेपी सेठी, न्यूरोलॉजी विभाग डॉ सुनील कुमार , गुर्दा एवं मूत्र रोग विभाग डॉ हारिस अंसारी, रेडियोलोजी विभाग डॉ मनाली अग्रवाल, गैस्ट्रो सर्जरी विभाग डॉ रजनीश वार्ष्णेय, ह्रदय रोग विभाग डॉ पवन गोयल, प्लास्टिक कास्मेटिक एवं हेयर ट्रांसप्लांट विभाग डॉ शरद खंडेलवाल, एनेस्थीसिया विभाग डॉ अनिमेष कुमार गुप्ता और डॉ जितेंद्र वार्ष्णेय, दंत रोग विभाग डॉ सलिल बलदेव , फिजियोथेरपी एवं पेन मैनेजमेंट विभाग डॉ शशांक शुक्ला और डॉ सैयद जुनैद की निगरानी में चल रहा है। बरेली की एक मात्र डीएम इंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ श्रुति शर्मा भी खुश्लोक अस्पताल में ही अपनी सेवाएं दे रही हैं।
यह हैं अस्पताल की खास सुविधाएं
अस्पताल में एंजियोग्राफी, एंजोप्लास्टी , पेसमेकर, ईको, टीएमटी, बेरिएट्रिक सर्जरी, कैंसर सर्जरी, एंडोस्कोपी , आरसीपी , अत्याधुनिक ऑर्थो एवं जोड़ प्रत्यारोपण, स्पाइन सर्जरी,हेयर ट्रांसप्लांट , गुर्दा एवं मूत्र संबंधी सभी बीमारियों का इलाज , डायलेसिस की सुविधा, हारमोंस , थायराइड और मोटापे का इलाज, नसों और कानो की जांच आदि की सुविधा उपलब्ध है।
अस्पताल की हेल्पलाइन नंबर 9760701234 है। 7500875003 पर काल कर आपातकाल में एम्बुलेंस बुलाई जा सकती है। www.khushlokhospital.com पर जाकर अस्पताल के बारे में और डिटेल हासिल की जा सकती है।