लखनऊ। आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य जगत में हलचल मचा दी है। इसे लेकर प्रदेश के सभी असप्तालों की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरेाना की दूसरी लहर के दौरान जहां लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे थे और अस्पतालों के चक्कर लगा रहे थे, वहीं उस दौरान अस्पतालों में भारी मात्रा में जीवनदायिनी ऑक्सीजन की जमकर बर्बादी की जा रही थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जहां दो लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत थी, वहां 20 मिनट प्रति लीटर की खपत की गई। आईआईटी ने ये रिपोर्ट राज्य सरकार की परमिशन के बाद तैयार की है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर ही कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तैयारियां की जाएंगी।
दरअसल, शुरू में ही राज्य सरकार दावा कर रही थी कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। इसके बाद भी ऑक्सीजन के अभाव में कई लोगों की जानें चली गई। इस पर सरकार ने आईआईटी कानुपर को सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद आईआईटी ने जांच करने के बाद जो रिपोर्ट सामने रखी है, उसमें कहा गया है कि अस्पतालों में बड़े लेवल पर ऑक्सीजन की बर्बादी हुई थी। इस रिपोर्ट को तैयार करने की जिम्मेदारी आईआईटी के सीनियर प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल को सौंपी गई थी।
रिपोर्ट में 53 प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों की मदद से 3 से 29 मई तक अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की जानकारी दी गई है। सर्वे की जिम्मेदारी यूपी के बहुत सी यूनिवर्सिटीज को भी सौंपी गई थी। कानपुर आईआईटी द्वारा तैयार किए गए ऑक्सीजन ऑपरेटिंग सिस्टम की मदद से सर्वे किया गया था। 1,32,702 मरीजों को भी सर्वे में शामिल किया गया था।
इन अस्पतालों ने जमकर की बर्बादी
रिपोर्ट में यूपी के ऐसे 10 अस्पतालों का खुलासा किया गया है, जहां पर ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा बर्बादी (Oxygen Wastage) हुई है। इसमें सरकारी व निजी दोनों तरह के अस्पताल हैं। इनमें जीएमसी बदायूं, जीएमसी जालौन, प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ, एएसएसजी अयोध्या, LLRM मेरठ, मथुरा, गाजियाबाद, बरेली और अंबेडकरनगर और लखनऊ के पांच अस्पतालों के ऑक्सीजन प्रबंधन पर सवाल उठाए गए हैं।