बरेली-नैनीताल फोरलेन का निर्माण करने वाली पीएनसी बरेली नैनीताल हाईवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का एक और कारनामा सामने आया है। प्रोजेक्ट में शामिल पक्के नाले का पूरा निर्माण न कर कंपनी ने लोगों की सेहत से ही खिलवाड़ कर डाला। अधूरे नाले का पानी बोरिंग के जरिए जमीन में डाल दिया गया। लगातार शिकायतों के बाद मामले की जांच कराई गई। उद्योग विभाग को नाला अधूरा मिला तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में पानी दूषित पाया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शासन को रिपोर्ट भेजकर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है।
भोजीपुरा औद्योगिक आस्थान के सामने बना नाला उद्यमियों के लिए मुसीबत बन चुका है। अधूरा नाला होने के कारण औद्योगिक क्षेत्र के भीतर गंदा पानी भर जाता है। बार-बार शिकायत के बाद भी इसकी सही से जांच नहीं हुई। पिछले दिनों उद्योग बंधु में एक बार फिर मामला उठा तो डीएम ने उपायुक्त उद्योग को इसकी जांच दी। उपायुक्त ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच कराई। कमेटी में भोजीपुरा औद्योगिक आस्थान के अध्यक्ष अजय शुक्ला, सहायक आयुक्त उद्योग प्रभात रंजन शुक्ल और पीएनसी के एजीएम विवेक गुप्ता को शामिल किया गया। जांच रिपोर्ट में पीएनसी बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है। जांच में औद्योगिक आस्थान भोजीपुरा रोड नंबर दो के पास पेट्रोल पंप के सामने नाली का ढक्कन खुला हुआ पाया गया। इसमें बोरिंग का बोरवेल लगा हुआ पाया गया। कंपनी ने नाले का गंदा पानी बोरवेल के माध्यम से जमीन के अंदर भेजने का काम किया। कंपनी की डीपीआर का जब अध्ययन किया गया तो पाया गया कि फ्लाईओवर शुरू होने के प्वाइंट से फ्लाईओवर खत्म होने तक पक्के नाले का निर्माण होना था। कंपनी ने 100 मीटर पक्के नाले का निर्माण किया ही नहीं। औद्योगिक आस्थान के सामने किसी भी तरह का कच्चा नाला भी नहीं बना है जबकि कंपनी को इसका भी निर्माण करना था।
मौके पर नहीं मिला कच्चा नाला भी
औद्योगिक आस्थान से नैनीताल रोड की ओर जाने पर यह पाया गया कि बाईं तरफ बसी बस्तियों में भी नाले के पानी का ओवरफ्लो हो रहा है। इसकी शिकायत वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने जांच कमेटी के सदस्यों से की। पीएनसी के प्रतिनिधि ने बताया कि जो नाला बना है वह सड़क के ड्रेन के लिए ही है। इसमें बस्तियों का डे्रन नहीं जोड़ा जाना चाहिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि नाला निर्माण किए जाने से पहले वहां पर एक कच्चा नाला हुआ करता था। जोकि अब नहीं है।
भूजल प्रदूषित होने के चलते बंद कराया बोरवेल
उपायुक्त उद्योग ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी बोरवेल के जरिए पानी प्रदूषित होने की जानकारी दी। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र की संयुक्त टीम ने 18 सितंबर को मौके पर जाकर जांच की। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि यह बोरवेल 31 जुलाई 2019 को पीएनसी कंपनी ने लगवाया था। इसका उद्देश्य सड़क पर भर रहे पानी को भूगर्भ जल में निस्तारित किया जाना था। निरीक्षण के समय बोरवेल चोक पाया गया। नाला को किसी भी प्राकृतिक स्रोत से नहीं जोड़ा गया। इस कारण जल निकासी सही तरह से नहीं हो पा रही थी। निरीक्षण के समय पानी का सैंपल भी लिया गया। यह पानी मानक के अनुरूप नहीं पाया गया। तत्काल ही सीमेंट से बोरवेल को बंद करा दिया गया।
पर्यावरणीय अधिनियमों के तहत कार्रवाई की संस्तुति
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी रोहित सिंह ने उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी को इस मामले की रिपोर्ट भेजी है। उन्होंने अवैध रूप से बोरवेल स्थापित किए जाने के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की है। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान प्रवाहित उत्प्रवाह का नमूना लिया गया। इसमें प्रचालक पीएच 7.8, बीओडी 46 मिग्रा प्रति लीटर, सीओडी 264 मिग्रा प्रति लीटर और एसएस 210 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। उक्त प्रकृति का जल भूगर्भ जल में डाले जाने से भूगर्भीय जल प्रदूषित होने की प्रबल संभावना है। जोकि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत एक दंडनीय अपराध है। इसको ध्यान में रखते हुए पीएनसी बरेली नैनीताल हाईवे प्राइवेट लिमिटेड नैनीताल रोड दोहना के खिलाफ पर्यावरणीय अधिनियमों के अंतर्गत विधिक कार्रवाई और पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किए जाने की संस्तुति की गई है।