न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। अपने उम्मीदवारों का आपराधिक ब्यौरा न देना राजनीतिक दलों पर भारी पड़ने वाला है। निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद भी कई सियासी पार्टियों ने अभी तक अपनी वेबसाइट पर प्रत्याशियों का आपराधिक इतिहास (criminal details of candidates) नहीं बताया है। ऐसे में उनका पंजीकरण रद करने का विचार किया जा रहा है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान कहा भी कि वह उस याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा, जिसमें चुनाव आयोग को उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है जो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास (criminal details of candidates) का खुलासा नहीं करते। याचिका भाजपा नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
अश्विनी उपाध्याय ने चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे सुनवाई के लिए जल्द सूचीबद्ध की जाए। उपाध्याय ने कहा, प्रथम चरण के मतदान के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है और राजनीतिक दल व उम्मीदवार (criminal details of candidates) सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व आदेशों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा, हम विचार करेंगे। हम आपको तारीख देंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाले दलों के लिए अपनी वेबसाइटों पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास (criminal details of candidates) का खुलासा करने के अलावा इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में इसका विवरण देना जरूरी है।
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