देहरादून : उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में 2 महीने के बाद जैसे-तैसे नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का मामला सुलझा कि अब गठित की गई चुनाव संचालन समितियों में नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। अभी धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी को पार्टी मना नहीं पाई थी कि उससे पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने अपनी गुस्सा जाहिर कर दी है। उन्होंने पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया है। ध्यान रहे एक दिन पहले ही धारचूला से कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने पार्टी छोड़ने की धमकी दे दी है इससे चुनाव की दहलीज पर खड़ी कांग्रेस विपक्ष को कितनी टक्कर दे पाती है, इसको लेकर कार्यकर्ता अब संशय में हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस में आपसी गुटबाजी को लेकर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के धडों में बटी कांग्रेस में खींचतान तब और ज्यादा बढ़ गई जब विगत महा प्रदेश की नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हरदेश का निधन हो गया। उनके निधन के बाद रिक्त नेता प्रतिपक्ष के पद को भरने की जब बात आई तो पार्टी के कई समीकरण आगे आ गए। 2 महीने के बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की स्थिति साफ कर पाई है। काफी खींचतान असंतोष और मान मनोबल के बाद कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा तैयार हो पाया है। गुरुवार देर शाम पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर श्रीनगर के पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को कमान सौंप दी। वही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी अभी तक प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रीतम सिंह को दी गई है। प्रदेश में चुनाव प्रचार का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को दिया गया है। चुनाव संचालन व्यवस्थित रूप से हो सके इसके लिए विभिन्न समितियां भी बनाई गई हैं। इसकी घोषणा जैसे ही हुई कि धारचूला के पूर्व विधायक हरीश धामी ने गुस्सा जाहिर कर दी, उनका कहना था कि पार्टी हाईकमान ने जिसको कोषाध्यक्ष बनाया है वह पूर्व में कांग्रेस विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा है। ऐसे में उनको इस पद से हटाया जाए। धामी ने यह भी कहा प्रदेश में 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का भी कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है। इसमें बदलाव नहीं किया गया तो वह कांग्रेस छोड़ देंगे। उनकी मनोव्वल में लगी पार्टी अभी उन्हें मना भी नहीं पाई थी कि अब पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने विधानसभा चुनाव की घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस बात से कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी अवगत करा दिया है। सूत्रों के अनुसार नवप्रभात महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ना मिलने के कारण असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकार अब नवप्रभात से भी बात करके उन्हें मनाने में जुट गए हैं। इस पूरे मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम आपस में ही अगर इस तरह बंटे रहे तो कांग्रेस को सत्ता पाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा।