न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर अभी कोइ बड़ी जानकारी नहीं है, मगर इससे होने वाले खतरे से निपटने के लिए कोविशीलल्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट बूस्टर डोज लाने की तैयारी में है। इसके लिए अभी इस नए वैरिएंट के बारे में हो रहे अध्ययनों और उनके निष्कर्षों का इंतजार किया जा रहा है।
सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला ने एक मीडिया चैनल को दिए साक्षात्कार में बताया कि ओमिक्रॉन पर हो रहे शोध को पूरा होने में एक से दो सप्ताह का समय लगेगा। हम उन निष्कर्षों का इंतजार कर रहे हैं, अगर जरूरत पड़ी तो हम नया टीका तैयार करेंगे। अदार पूनावाला ने बताया कि अगर जरूरत पड़ी तो जो नया टीका तैयार होगा, वह बूस्टर डोज के रूप में दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि उसे तैयार करने में छह महीने का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि शोध के आधार पर ही हम तय करेंगे कि यह तीसरा या चौथा टीका होगा या बूस्टर डोज। हो सकता है कि ओमिक्रॉन के लिए अतिरिक्त टीके की आवश्यकता ही न पड़े।
अदार पूनावाला ने कहा कि द लैंसेट के अध्ययन में सामने आया है कि कोविशील्ड 63 प्रतिशत तक कोरोना पर असरदार है और यह अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को भी कम करती है। इसके बावजूद अगर लोगों को बूस्टर डोज देने की आवश्यकता पड़ी तो हमारे पास पर्याप्त खुराक आरक्षित है। उन्होंने बताया कि हमारे पास दो करोड़ से ज्यादा खुराक अभी मौजूद हैं, सरकार घोषणा करती है तो हम उसे उपलब्ध कराएंगे।
अदार पूनावाला ने कहा कि जिन लोगों ने टीके की एक ही खुराक ली है या एक भी नहीं ली है। उन्हें दोनों खुराक लेनी चाहिए। इसके बाद ही अगर आवश्यकता पड़ती है तो बूस्टर डोज का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, फिलहाल सरकार की बूस्टर डोज देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोपियन देशों की स्थितियों में बहुत अंतर है।