बरेली। कोरोना ने स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सिस्टम की बदइंतजामी की भी कलई खोलकर रख दी है। इतना बड़ा इंतजाम होने के बावजूद राज्य सरकार अपने विधायक की जान नहीं बचा सकी। नवाबगंज विधायक केसर सिंह गंगवार को सही समय पर बेहतर इलाज की दरकार थी।
वह भोजीपुरा स्थित एसआरएमएस हॉस्पिटल की अव्यवस्था के बीच कोरोना से जंग कर रहे थे तब उनके बेटे विशाल गंगवार ने अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय तक फोन किए, लेकिन सरकारी अव्यवस्था इतनी हावी थी कि पिता के लिए परेशान विशाल की आवाज न सरकार चलाने वाले जनप्रतिनिधियों और न ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करने वाले अधिकारियों के कानों तक पहुंची।
कहीं से मदद न मिलने पर हताश होकर विशाल गंगवार ने अपनी फेसबुक पर यूपी सरकार को कठघरे में खड़े करते हुए पोस्ट डाली जिसमें लिखा था कि ‘क्या यही यूपी सरकार अपने ही विधायक का नहीं करा पा रही कोरोना से इलाज, मैंने कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय फोन किया मगर मजाल है जो फोन उठा लिया गया हो, धन्य है यूपी सरकार और धन्य हैं मोदी जी’। इस पोस्ट की गूंज शासन तक पहुंची।
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लेते हुए किसी तरह विधायक को नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन यहां भी विधायक को करीब 10 घंटे तक सही इलाज नहीं मिला। इस वजह से उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। 19 अप्रैल की सुबह विधायक की बेटी सोनम गंगवार ने सांसद धर्मेंद्र कश्यप के मीडिया प्रभारी के जरिए मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी से बात की। मामला प्रमुख सचिव स्वास्थ्य तक पहुंचा। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की सिफारिश पर विधायक को अस्पताल में आईसीयू बेड मिला था। बरेली से लेकर आईसीयू बेड तक पहुंचने में काफी समय गुजर गया था। बदइंतजामी थी कि सरकार का दबाव होने के बावजूद विधायक को आईसीयू के बेड के लिए इमरजेंसी में रात काटनी पड़ी थी।