एनजेआर, जमशेदपुर। मामला झारखंड के जमशेदपुर इलाके का है। एक महिला ने बहू के लापता होने पर उसकी वापसी के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपनी जीभ काटकर उनकी तस्वीर पर चढ़ा दी। बोली-अब वह बहू से घर के कामकाज को लेकर कोई ताने नहीं देगी। महिला ने अपनी जबान का आधा हिस्सा काटा है। वह अभी लड़खड़ा कर बात कर रही है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सरायकेला-खरसावां जिले में आदित्यपुर स्थित एनआईटी परिसर निवासी लक्ष्मी निराला मूल रूप से छत्तीसगढ़ के नया रायपुर जिला अंतर्गत खरसिवा गांव की रहने वाली है। उसके पिता का नाम नरदू निराला है। छह लोगों का पूरा परिवार एनआईटी में कमला आदित्य कंस्ट्रक्शन में मजदूरी करता है।
लक्ष्मी की बहू ज्योति निराला 14 अगस्त की शाम से लापता है, ज्योति अपने एक साल की बेटी और ननद ममता (10) के साथ शाम में शौच के लिए नदी किनारे गई थी। ममता से उसने कहा कि उसे शर्म आती है इसलिए वह उससे दूर बैठे। ममता ने उसकी बात मान ली। ज्योति अपने एक साल की बेटी को लेकर ममता की नजर से ओझल हो गई जब देर तक ज्योति नहीं आई तो इसकी जानकारी उसने पिता नरदू निराला को जानकारी दी।
नरदू अपने बेटे और ज्योति के पति शिवा निराला को साथ लेकर नदी किनारे गया, लेकिन ज्योति का कहीं पता नहीं चला। उसके बाद वे सभी आरआईटी थाना गए, लेकिन वहां बताया गया कि शनिवार सुबह आकर शिकायत करें। शनिवार सुबह वे थाना गए लेकिन वहां झंडोत्तोलन हो रहा था। उसके बाद वे लोग घर चले आए।
उसके अगले दिन ज्योति की सास ने पहले शंकर भगवान की तस्वीर के सामने पूजा की। इसके बाद अचानक उसने घर में रखे चाकू से अपनी जुबान काटकर शंकर भगवान की तस्वीर पर रख दी। मां को रक्त रंजित देख शिवा ने एनआईटी परिसर में कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोगों को बताया। वे लोग उसे अस्पताल लेकर आए। उनके अस्पताल में भर्ती कराने के थोड़ी देर बाद आरआईटी थाना से एएसआई पतरस आइंड पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे। महिला की जुबान कटने के चलते वह बात करने की स्थिति में नहीं है।
छत्तीसगढ़ से काम करने आया था परिवार
यह परिवार यहां काम करने आया था। बहू ज्योति भी इनके साथ काम करती थी, लेकिन हाल के दिनों में उसने पेटी कांट्रैक्टर पर सफाई का काम शुरू कर दिया था। उसके अधीन ही उसका पूरा परिवार, जिसमें उसके सास, ससुर, पति के अलावा देवर शंकर निराला (15), ननद ममता (10) भी काम करते हैं।
ससुर का कहना है कि वे लोग ढाई साल से यहां आकर काम कर रहे हैं। लॉक डाउन के चलते वे लोग गांव जाना चाहते थे, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं होने से यहीं रह गए। पहले वे लोग कमला आदित्य कंस्ट्रक्शन में काम करते थे। बाद में उनकी ही बहू ने इसी कंपनी में पेटी में काम ले लिया था। बहू उन लोगों को पैसे भी नहीं दे रही थी।