लखनऊ। राजनीति में कभी कोई चीज निश्चित नहीं होती। यहां जोड़-तोड़ और मौकापरस्तों का ऐसा खेल खेला जाता है, जहां बड़े से बड़े दिग्गज भी जीत के बॉर्डर पर पहुंचकर हार जाते हैं। यूपी में हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यही देखने को मिल रहा है। सपा जहां अपनी गुटबाजी से परेशान है, वहीं, भाजपा ने पीलीभीत की सीट पर सपा के आगे ऐसी रणनीतिक जाल बिछाया, जिसमें फंसकर समाजवादी पार्टी एक बार फिर फेल हो गई। पीलीभीत सीट पर जिला पंचायत सदस्यों के जोड़-घटाव के बाद मंगलवार सुबह तक सपा भारी दिखाई दे रही थी। पार्टी के नेता भी आत्मविश्वास से भरे थे, लेकिन दोपहर में जो हुआ, उसने न सिर्फ सपा खेमे में हड़कंप मचा दिया, बल्कि नेताओं और कार्यकर्ताओं में बेचैनी भी बढ़ा दी।
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दरअसल, हाल ही में वरुण गांधी के खासमखास माने जाने वाले स्वामी प्रवक्ता नंद भाजपा छोड़ सपा में शामिल हुए थे। सपा ने उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पदका उम्मीदवार भी बनाया था। प्रवक्ता नंद सपा की तरफ से नामांकन भी दाखिल कर चुके थे। उनके सामने भाजपा से डाॅ. दलजीत कौर खड़ी थीं। इस पर सपा की तरफ से बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ आपत्ति भी दाखिल की गई। हालांकि आपत्ति को प्रशासन ने मौखिक बायन जारी कर खारिज कर दिया था। ऐसे में जिला पंचायत सदस्यों को जोड़ने-तोड़ने की कोशिश शुरू हो गई, जिसके बाद सपा अपनी जीत निश्चित मानकर चल रही थी, मगर भाजपा अंदरखाने कुछ और ही खेल खेल रही थी, जिसकी भनक किसी को नहीं लगी। इसके बाद मंगलवार को जो हुआ, उसने हर किसी को हैरान कर दिया।
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मंगलवार को नाम वापसी का आखिरी दिन था और सपा उम्मीदवार स्वामी प्रवक्ता नंद बड़े काफिले के साथ कलेक्ट्रेट में नाम वापस लेने पहुंच गए। उनके साथ भाजपा शहर विधायक संजय सिंह गंगवार और भाजपा जिलााध्यक्ष संजीव प्रताप समेत तमाम अन्य नेता भी थे। भाजपा नेताओं के साथ अपने उम्मीदवार को देखकर समाजवादी पार्टी के नेता हक्का-बक्का रह गए। जिस बागी बीजेपी नेता को उन्होंने अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया था, ऐन मौके पर उसने पार्टी छोड़कर घर वापसी कर ली। लोग इसे भाजपा का राजनीतिक स्टंट मानकर चल रहे हैं।
राजनीति में सच कौन बोलता है : प्रवक्ता नंद
भाजपा में दोबारा शामिल होते ही स्वामी प्रवक्ता नंद ने कहा कि राजनीति में सच कौन बोलता है। राजनीति के शब्दों में सब कुछ जायज है। बता दें कि स्वामी प्रवक्ता नंद दल बदलने के माहिर खिलाड़ी है। कई बार पहले भी उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर अन्य पार्टियों की सदस्यता ग्रहण की और चुनाव भी लड़े। बरखेड़ा विधानसभा से विधायक का टिकट न होने पर स्वामी प्रवक्ता नंद ने 2017 में रालोद से चुनाव लड़ा था। अब एक बार फिर जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी न बनाए जाने पर स्वामी प्रवक्ता नंद ने भाजपा त्यागकर सपा की सदस्यता ली थी, लेकिन पार्टी ने कैसे स्वामी को मनाया, यह पर्दे के पीछे का खेल है।
निर्विरोध हुईं भाजपा की डॉ. दलजीत कौर
भाजपा द्वारा अधिकृत प्रत्याशी घोषित की गई डॉ. दलजीत कौर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अब निर्विरोध हो गई हैं। डॉ. दलजीत कौर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वह जनता के विकास के लिए कार्य करेंगे और स्वामी प्रवक्ता नंद का सपाइयों से धोखा करने के लिए धन्यवाद भी किया।
निर्विरोध अध्यक्ष चुनने के लिए किया था प्लान
भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष संजीव प्रताप ने कहा कि स्वामी प्रवक्ता नंद हमारे अभिनंदन है जो सपा में सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए गए थे। मकसद पूरा होने के बाद स्वामी प्रवक्ता न सिर्फ भाजपा में वापस आ गए हैं। स्वामी जी हमेशा से बीजेपी कार्यकर्ता हैं और रहेंगे।
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