ऐसा कौन सा कारण था कि आईएसबीटी का स्थान शिफ्ट करना जरूरी था, हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा। मांगा जवाब

192
खबर शेयर करें -

न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित आई.एस.बी.टी.को दूसरी जगह शिफ्ट करने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर अंतिम अवसर देते हुए शपथपत्र पेश करने को कहा है। न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे कौन से कारण हैं जो वो आई.एस.बी.टी.को शिफ्ट करने को अनिवार्य समझ रहे हैं । जबकि वहां फारेस्ट के 2625 पेड़ काट डाले और 11 करोड़ रुपये खर्च भी कर दिए। इस पर सही तथ्यों के साथ तीन सप्ताह में जवाब दें। मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी रवि शकंर जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार आई.एस.बी.टी.के नाम पर केवल राजनीति कर रही है और बार बार आई.एस.बी.टी.की जगह बदल रही है। जबकी सरकार ने 2008 में गौलापार में फारेस्ट की 8 एकड़ भूमि पर आई.एस.बी.टी.बनाने के लिए संस्तुति दे दी थी । इसे केंद्र सरकार से भी अनुमति मिल चुकी थी और राज्य सरकार ने वहाँ पर आई.एस.बी.टी.बनाने के लिए 11 करोड रू खर्च भी कर दिए । इतना ही नहीं सरकार ने वहां 2,625 पेड भी काट डाले। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जब सरकार ने इतने पैसे वहाँ खर्च कर दिए और ढाई हाजर से अधिक पेड़ काट दिए, तो उसके बाद उसे कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है, ये प्राकृतिक संसाधनों और सरकारी धन का दुरप्रयोग है। अभी तक 12 वर्ष बीत गए है लेकिन आई.एस.बी.टी.का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। गौलापार के अलावा आई.एस.बी.टी. बनाने हेतु हल्द्वानी में कहीं इससे अधिक जमीन नही है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रविकुमार मलिमठ व न्यायमुर्त्ति रविन्द्र मैठाणी की खण्डपीठ में हुई।