न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल। पर्यटन सीजन की दहलीज पर खड़ा उत्तराखंड एक ओर पर्यटकों की आगवानी को तैयार है तो दूसरी ओर जंगलों में लगी आग (Forest fire) ने सरोवर नगरी की आबोहवा को बिगाड़ (Air pollution in Nainital) दिया है। इस वक्त नैनीताल की हवा काफी प्रदूषित हो चुकी है।
गर्मी जैसे-जैसे परवान चढ़ रही है, उसी तेजी से जंगलों में आग भी धधकती जा रही है। जिस कारण पहाड़ पर हर तरफ धुआं और धुंध (Air pollution in Nainital) लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। नैनीताल में गुरुवार को इसकी माप की गई तो पार्टिकुलेटेड मैटर यानी पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रो घनमीटर पहुंच गया। जबकि सामान्य दिनों में नैनीताल सरीखे ऊंचाई वाले क्षेत्रों का यह स्तर 25 माइक्रो घनमीटर के आसपास रहता है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वायुमंडलीय विज्ञानियों के अनुसार जंगलों की आग के कारण वायु प्रदूषण (Air pollution in Nainital) तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण बढ़ाने के पीछे धुएं के अलावा मैदानी भागों का प्रदूषण भी है, जो दिन में तापमान बढऩे के साथ ऊपर उठ जाता है। इससे नैनीताल समेत समीपवर्ती क्षेत्र में आसमान में ज्यादा ही धुंध छा रही है। जब तक बारिश नही होगी, तब तक वायु प्रदूषण (Air pollution in Nainital) का स्तर उठा ही रहेगा। इस प्रदूषण से नैनीताल व मुक्तेश्वर समेत अन्य पर्यटन स्थल भी अब अछूते नहीं हैैं। हिमालय के करीब होने के कारण एरीज राज्य के सभी हिस्सों से वायु प्रदूषण की निगरानी कर रहा है।
जंगलों में आग बढऩे की क्या वजह रही
एरीज के विज्ञानियों का मानना है कि पिछले दो दशक में ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन तेजी से बढऩे के कारण बहुत बुरा असर खेती पर पड़ा है। जिन खेतों को लगातार पानी मिलता था और वह भारी मात्रा में आद्र्रता खुद में समेटे रहते थे। अब वे बंजर पड़ गए और नमी की मात्रा इतनी कम हो गई कि सूखा पड़ गया। सूखे की स्थिति के कारण जंगल की आग को लगातार बढ़ावा मिलता जा रहा है।
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