नई दिल्ली। कोरोना के कारण हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा रद कर दिए जाने के बाद अब इसको रिजल्ट को लेकर माथापच्ची की जा रही है। रिजल्ट कैसे तैयार हाेगा, यह मामला अब देश के सबसे बड़े न्यायालय सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर गुरुवार को सीबीएसई ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया है और बताया है कि परीक्षा रद होने के बाद वह दोनों कक्षाओं के रिजल्ट कैसे तैयार कर रही है।
सीबीएसई की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि कक्षा बारहवीं का परिणाम कक्षा दसवीं और ग्यारहवीं के 5 विषयों में से सबसे ज्यादा अंक पाने वाले 3 विषयों के अंकों के आधार पर तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही इसमें कक्षा 12वीं के लिए यूनिट, टर्म और प्रैक्टिकल परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को भी आधार बनाया जाएगा।
सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बारहवीं कक्षा के परिणाम कक्षा 10 (30% वेटेज), कक्षा 11 और कक्षा 12 (40% वेटेज) में प्रदर्शन पर तय किए जाएंगे। CBSE 12वीं के रिजल्ट के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं के नंबर्स जोड़े जाने पर निर्णय लिया गया है। CBSE का 13 सदस्यीय पैनल 10वीं, 11वीं और 12वीं के नंबर 30:30:40 के अनुपात में जोड़कर रिजल्ट तैयार करने के तरीके पर राजी हुई है। पैनल 12वीं को ज्यादा तरजीह देने के बारे में सोच रही है। ओवरऑल बात की जाए, तो 10वीं-11वीं को 30-30% और 12वीं को 40% वेटेज दिए जाने पर सहमति बनी है। यानी सीबीएसई कक्षा 12वीं बोर्ड के परिणामों के लिए कक्षा 10वीं के अंतिम परिणाम का 30 फीसदी + कक्षा 11वीं के अंतिम परिणाम का 30 फीसदी + कक्षा 12 प्री-बोर्ड परिणाम का 40 फीसदी लेगी।
मूल्यांकन क्रिटेरिया तय करने के लिए बनाए गए पैनल के सदस्य ने कहा कि केंद्र की तरफ से संचालित नवोदय विद्यालयों, CBSE,इससे जुड़े स्कूलों और अन्य स्कूलों से चर्चा की गई है। इसमें सामने आया है कि इस बार जो 12वीं का बैच है, वो पूरी तरह ऑनलाइन चला है। ऐसे में बहुत अनिश्चितता है। क्लासेज सामान्य स्थितियों में नहीं चली हैं और असेसमेंट भी पूरी तरह नहीं हो पाया है।
31 जुलाई तक आएगा परिणाम
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि सीबीएसई द्वारा 31 जुलाई तक कक्षा बारहवीं का परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिणाम घोषित होने के बाद विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों के बारे में शिकायत को दूर करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह अधिकारियों से सलाह लेंगे। जो छात्र वर्तमान तंत्र के माध्यम से अंक / ग्रेडिंग से संतुष्ट नहीं हैं, वे परीक्षाओं में शामिल होकर बेहतर कर सकते हैं और अपने अंकों में सुधार कर सकते हैं। कोरोना की स्थिति बेहतर हो जाती है या जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होती है या संस्थानों को लगता है कि वे छात्रों की मांग पर उनके लिए परीक्षा करा सकते हैं, तो सीबीएसई इस पर विचार करेगी।