काशीपुर : कोरोना के समय मौत का भय दिखाकर आयुष्मान अस्पताल प्रबंधन पर कोविड मरीज का 3.30 लाख रुपये का बिल बनाने का आरोप लगा है। पीडि़त की बेटी की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने अस्पताल के डा. विकास गहलोत और डा. भावेश मालकिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। अधिक बिल वसूली के आरोप में अस्पताल पर इससे पहले भी एक मुकदमा दर्ज हो चुका है।
सुभाष नगर निवासी माधवी राजपूत ने कोतवाली में दी तहरीर में आरोप लगाया कि उनके पिता भूपेंद्र ङ्क्षसह चौहान दो मई को कोरोना पॉजिटिव आए। तीन की सुबह उन्हें आयुष्मान अस्पताल ढेलापुल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। उनसे तत्काल पांच हजार रुपये फाइल चार्ज व 25 हजार रुपये इमरजेंसी बेड के नाम पर जमा कराए गए। फाइल चार्ज की स्लिप नहीं दी गई। उन्होंने 24 घंटे का इमरजेंसी चार्ज दिया था, लेकिन तीन मई की शाम को ही डा. विकास गहलोत उनसे प्राइवेट रूम लेने को कहने लगे। उनसे प्रतिदिन कमरे के 25 हजार रुपये चार्ज किए गए। वहां 16 मई तक इलाज चला। इस बीच कुल 3.30 लाख रुपये का बिल बना। इसके अतिरिक्त दवा के रूप 75,000 रुपये लिए गए। इसके बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आए बिना ही डिस्चार्ज कर दिया गया। 18 मई को पिता की यूरीन बंद हो गई। वह अस्पताल लेकर पहुंचीं तो पेशाब नली निकाल दी गई। लेकिन समस्या बनी रही। डा. भावेश मालकिया की देखरेख में इलाज होने के कारण उन्हें फोन किया तो उन्होंने भर्ती करने पर ही इलाज करने की बात कही। आरोप है कि डा. विकास गहलोत और डा. भावेश ने उनके पिता की मृत्यु का भय दिखाकर उनसे मनमाना पैसे वसूले।