न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बोर्ड परीक्षा का पैटर्न बदल दिया (UP Board exam pattern changed) है। अब हाई स्कूल परीक्षा इसी नए पैटर्न (UP Board exam pattern changed) से होगी। परीक्षा में एक प्रश्न पत्र बहुविकल्पीय दिया जाएगा, जिसका उत्तर ओएमआर शीट पर देना होगा। वहीं, 2025 से इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में भी यह पैटर्न (UP Board exam pattern changed) लागू किया जाएगा। विद्यार्थियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कक्षा 9वीं और 11वीं में इंटर्नशिप कार्यक्रम भी लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से परिषद ने यह योजना साझा की है, जिसके बाद सीएम ने इसे (UP Board exam pattern changed) अमलीजामा पहनाने को कहा है। साथ ही आगामी पांच वर्ष में सभी ब्लॉकों में हाई स्कूल और इंटर कॉलेज खाेलने के निर्देश दिए हैं।
अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। प्राधिकरण के जरिये पांच वर्ष में विद्यालयों का मूल्यांकन एवं सर्टिफिकेशन भी किया जाएगा। विद्यालयों में विद्यार्थियों को रोजगान्मुख शिक्षा के लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, रियल टाइम मानिटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली की व्यवस्था लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूजीसी ने एक साथ दो डिग्री प्राप्त करने के लिए स्वीकृति दी है। प्रदेश में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार योजना बनाने के निर्देश दिए।
उच्च शिक्षा का भी स्वरूप बदलेगा, ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम
प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था और विद्यार्थियों का एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अबेकस-यूपी के जरिये स्थानांतरण की व्यवस्था को लागू करने के लिए दस पाइंट ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने सभी कुलपतियों को ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है। ग्रेडिंग व्यवस्था में मुख्य या माइनर विषयों के प्रत्येक लिखित या प्रयोगात्मक परीक्षा के क्रेडिट स्कोर्स निर्धारित है। इन सभी का उत्तीर्ण प्रतिशत वर्तमान में प्रचलित 33 प्रतिशत ही रहेगा।
सह-पाठ्यकरम कोर्स तथा तृतीय वर्ष में लघु शोध में उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक आवश्यक होंगे। चार कौशल विकास कोर्स में भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत ही निर्धारित किए है। कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रम में पूर्णांक 100 निर्धारित किए गए हैं। इनमें प्रशिक्षण और प्रयोगात्मक परीक्षा का मूल्यांकन 60 अंकों और लिखित परीक्षा का मूल्यांकन 40 अंकों में से होगा। इसमें भी न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 ही रखे गए है।
सभी विषयों के मुख्य, माइनर और सह पाठ्यक्रम में अधिकतम 100 अंक मेंसे प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आतंरिक मूल्यांकन और 75 अंकों की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्राप्त अंकों को जोड़कर की जाएगी। विद्यार्थी को लिखित और प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 25 अंक (33 प्रतिशत) अंक प्राप्त करने होंगे। आंतरिक मूल्यांकन और विश्वविद्यालय परीक्षा में कुल 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।
न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा
किसी भी पाठ्यक्रम या पेपर में आंतरिक मूल्यांकन में कोई उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा। यदि किसी विद्यार्थी ने आंतरिक मूल्यांकन में शून्य अंक प्राप्त किए हैं और विश्वविद्यालय की परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं तो वह उत्तीर्ण माना जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित रहने पर भी शून्य अंक ही मिलेंगे।
संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन होगा
दो वर्षों के भीतर संस्कृत शिक्षा निदेशालय का भी गठन किया जाएगा। संस्कृत को तकनीकी के माध्यम से रोजगार से जोड़ने के लिए 180 घंटे का सर्टिफिकेट और 360 घंटे का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करेगा। संस्कृत की पारंपरिक विद्या, कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अर्चक और पुरोहित तैयार करने की दिशा में कार्रवाई तेज की जाएगी।
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