नैनीताल। चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने एक बार फिर हाई कोर्ट में दस्तक दी है। गुरुवार को सरकार ने कोर्ट में हलफनामा और प्रार्थना पत्र दाखिल कर चारधाम आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। इस मामले में सुनवाई आज या फिर सोमवार को हो सकती है।
हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई के दौरान सरकार को शर्तों के साथ चारधाम यात्रा कराने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने ही तय किया था कि यात्रा कोविड गाइडलाइन के तहत होगी और केदारनाथ धाम में एक दिन में 800, बद्रीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 भक्तों को ही जाने की अनुमति होगी। साथ ही ये भी कहा था कि हर भक्त या यात्री को कोविड निगेटिव रिपोर्ट और डबल वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लेकर जाना अनिवार्य होगा। सरकार ने भी इन्हीं शर्तों के साथ एसओपी जारी की थी और उन्हीं तीर्थयात्रियों को धाम में प्रवेश करने की अनुमति दी थी, जो इसके लिए पंजीकरण कराकर आएंगे।
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मगर यात्रा शुरू होने के बाद रजिस्ट्रेशन व ई-पास जारी होने के बाद अव्यवस्था होने लगी। अनुमान से कहीं ज्यादा यात्री प्रदेश में पहुंच गए। अभी 15 अक्टूबर तक पंजीकरण के सभी स्लॉट भी बुक हो चुके हैं, मगर इस बीच यह मामला भी सामने आया कि पंजीकरण कराने वाले कई यात्री धाम पहुंच ही नहीं रहे हैं। इससे दोपहर बाद ही चारधामों में सन्नाटा पसरने लगा है। इसे लेकर सरकार ने वेटिंग में बैठे तीर्थयात्रियों काे यात्रा की अनुमति दी, मगर पंजीकरण स्लॉट खाली ने होने से दिक्कतें नहीं सुधरी।
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इसी को देखते हुए सरकार ने अब तीर्थयात्रियों की निर्धारित संख्या बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दायर की है। गुरुवार को सरकार की ओर से इस आशय का हलफनामा दाखिल कर दिया गया। मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने बताया है कि हलफनामे में सरकार ने कहा है कि चारों धामों में एसओपी का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है। सीमित संख्या में बेहद कम तीर्थयात्री या भक्त दर्शन को जा पा रहे हैं। एसओपी के अनुसार निर्धारित संख्या से अधिक को दर्शन की अनुमति दी जा सकती है। धाम के मंदिरों में यात्रियों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है, लिहाजा धामों में तीर्थयात्रियों की तय संख्या को बढ़ाया जाए।
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