वैश्य समाज के डॉक्टर विनय खण्डेलवाल के चुनावी मैदान में उतरने से खलबली

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बरेली। बरेली मुरादाबाद खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी पद के प्रत्याशी डॉ विनय खंडेलवाल वैश्य समाज से आते हैं। एक शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विनय ने अलग ही छाप छोड़ी है। यही कारण है कि उनके मैदान में उतरने से विपक्षियों में खलबली मच गई है।


शिक्षक निर्वाचन चुनाव में निजी स्कूलों के शिक्षक भी मतदान करते हैं। बरेली और मुरादाबाद मंडल की बात की जाए तो अधिकांश निजी स्कूल वैश्य समाज के ही हैं। इसके साथ ही इन विद्यालयों में वैश्य समाज के शिक्षकों की संख्या भी काफी ज्यादा है। यही कारण है कि विनय के मैदान में उतरने से प्रतिद्वंदी तनाव में नजर आ रहे हैं। हमेशा ऊर्जा से भरे रहने वाले डॉ विनय ने अभी भले ही वैश्य कार्ड नहीं खेला हो मगर यह बात साफ है कि वैश्य समाज के प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। विनय भले अभी एमएलसी चुनाव की तैयारी कर रहे हो मगर आने वाले वक्त में उनके मुख्यधारा की राजनीति में भी आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

बरेली कैंट की विधानसभा सीट पर वैश्य मतदाता हमेशा ही निर्णायक भूमिका में नजर आते हैं। ऐसी स्थिति में यदि विनय भविष्य में कभी कैंट क्षेत्र से मैदान में उतरते हैं तो उनकी जीत की भी प्रबल संभावना है। यूं तो विनय समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए कार्य करते हैं मगर वैश्य समाज के प्रति उनके कार्यों की संख्या काफी अधिक है। सजातीय बंधुओं में उनकी लोकप्रियता भी शिखर पर है। उसका कारण विनय कि विनयशीलता है। वह अपने घर या कार्यालय पर आने वाले किसी भी व्यक्ति को निराश नहीं करते हैं। उनका यह स्वभाव ही चुनावी रण में उनकी सबसे बड़ी ताकत नजर आ रहा है।