न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court order) ने वाराणसी में संपत्ति के विवाद के मामले में बेटे को पिता के घर में रहने की इजाजत नहीं दी है। कोर्ट ने कहा कि बेटा अपने बनाए मकान में रहे। वह पिता के मकान में नहीं रह सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की दो जजों की खंडपीठ ने वंदना सिंह और शिव प्रकाश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व पांच अन्य के मामले में दिया है।
कोर्ट (Allahabad high court order) ने मामले में अभी तक स्थगन आदेश पारित किया था। मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम-2007 की धारा 21 के तहत पिता के अधिकारों को सुरक्षित करते हुए पुत्र को उनके घर में रहने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मामले में कहा कि पुत्र का मकान दूसरे स्थान पर है। वह पिता के मकान को छोड़ दे और अपने मकान में रहे। मामले में कोर्ट (Allahabad high court order) ने पुत्र को केवल इतनी राहत की दी कि वह पिता के मकान में जिस कमरे में रह रहा था, उसमें ताला बंद कर सकता है, लेकिन यह भी कहा कि पुत्र उस मकान में नहीं रहेगा। वह वाराणसी के पत्रकारपुरम में बनवाए गए अपने मकान में रहेगा।
यह था मामला
वाराणसी निवासी पिता जटा शंकर सिंह और पुत्र शिव प्रकाश सिंह दोनों अधिवक्ता हैं। आपसी विवाद की वजह से पिता ने वाराणसी के डीएम से प्रार्थना पत्र देकर अपने बेटे और बहू से अपना मकान खाली कराने की मांग की थी। डीएम ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 21 के तहत बेटे और बहू दोनों को मकान खाली करने का आदेश दिया था। पुत्र और बहू ने डीएम के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
मामले में याची के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय ने कहा कि पिता की संपत्ति में याची का हिस्सा है। इसको लेकर निचली अदालत में मुकदमा चल रहा है। अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता सौरभ श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि पिता वरिष्ठ नागरिक हैं। उन्हें माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत संरक्षण प्राप्त है। कोर्ट (Allahabad high court order) ने मामले में पहले समझौते के आधार पर आपसी विवाद को सुलझाने की मोहलत दी, लेकिन जब मामला हल नहीं हुआ तो कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया।
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