बरेली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े अरविंद बाजपेई 23 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। 24 अप्रैल को दोपहर अचानक ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा तो पापा का इलाज कराने के लिए बेटियां परेशान हो गई। वे मदद के लिए हर किसी से गुहार लगा रही थीं। एंबुलेंस की मदद मांगी लेकिन कुछ इंतजाम नहीं हुआ तो पड़ोसी ओमेंद्र कटियार की वैन से भाई शिखिर बाजपेयी, बहन यशी बाजपेयी और मां पुष्षा देवी के साथ 300 बेड अस्पताल पहुंची। यहां आक्सीजन एक घंटे तक मिलने की बात कहकर भर्ती कर लिया। इसके बाद बेटी स्वाति ने पापा का फोन लेकर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, शहर विधायक डा. अरुण कुमार, बिथरी विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल समेत कई अन्य नेताओं व डाक्टरों को फोन कर आक्सीजन और बेड की व्यवस्था कराने की गुहार लगाई लेकिन कहीं से उम्मीद की किरण हाथ नहीं लगी। तत्काल भर्ती न कर पाने की स्थिति में अगले दिन स्वाति के पिता की निजी अस्पताल में सांसें टूट गईं।
कोविड संक्रमित पिता को 300 बेड अस्पताल में भर्ती करने से जब इंकार किया तो बेटियां डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ा रहीं कि कुछ देर और यहीं रुकने दो, परिवार वाले दूसरे अस्पतालों में बेड तलाश करने गये हैं। बेड का इंतजाम होते ही यहां से चले जाएंगे। वहीं, दूसरी तरफ मंत्री से लेकर विधायक सिर्फ दिलासा देते रहे। काफी कोशिश के बाद भी कहीं से कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दी। 24 अप्रैल की शाम को हालत ज्यादा खराब हुई तो मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया। अगले दिन सुबह उन्होंने अव्यवस्था के बीच दम तोड़ दिया।
बाल्यावस्था से रहा अरविंद बाजपेई का संघ से नाता
अरविंद बाजपेई वर्तमान में संघ के केशवकृपा भवन के व्यवस्था प्रमुख थे और बीजेपी के सक्रिया कार्यकर्ता। वर्ष 1985 में बाल्यावस्था से वे संतोष गंगवार के पारिवारिक रहे। उस वक्त रामलाल विभाग प्रचारक थे। 1992 में नगर कार्यवाहक की जिम्मेदारी संभाली। देश में इमरजेंसी के दौरान वह काफी सक्रिय रहे। संतोष गंगवार और डॉ. अरुण कुमार समेत कई बड़े नेताओं का घर में अक्सर आना जाना लगा रहता था। 2018 में पत्नी पुष्पा बाजपेई ने सभासद का चुनाव लड़ा तो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अलावा मेयर उमेश गौतम में उनके समर्थन में जनसंपर्क किया। संतोष गंगवार को बच्चे ताऊ कहकर बुलाते थे। इनकी पत्नी सौभाग्य गंगवार हर सुख-दुख के कार्यक्रम में शामिल होती रहीं, लेकिन अरविंद कुमार के बाद किसी ने उनके परिवार का हाल तक नहीं लिया है।
बेटियां बोली-कहीं मत जाओ पापा
पड़ोसी ओमेंद्र कटियार बताते हैं कि अरविंद बाजपेई के घर पर नेताओं का तांता लगा रहता था। उनके जाने के बाद किसी ने सुध नहीं। घर पर गमगीन माहौल रहा। बेटियां अस्पताल प्रशासन के साथ ही उन नेताओं को कोस रही थीं जिनके लिए उनके पिता ने दिन रात एक की। कहा मैं जब यह सोचता हूं, तो मेरा भी कलेजा फटने को हो जाता है। क्योंकि वह मुझे भाई मानते थे। सांसें थमने के बाद जब पिता की अर्थी ले जाने लगे तो बेटियों का बुरा हाल था। परिवार वाले बेसुध थे। बेटियां बार-बार शव के पास जाकर बोल रही थीं- कहीं मत जाओ पापा मेरे पास बैठे रहो।