नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को बड़ा झटका देते हुए पहली जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने के कैबिनेट के निर्णय पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने चारधाम में पूजा-अर्चना का लाइव टेलीकास्ट करने के निर्देश सरकार को दिए हैं। सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अन्य अधिकारी कोर्ट में वर्चुअली पेश हुए।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल, अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हरिद्वार महाकुंभ में सरकार की अधूरी तैयारियों की वजह से राज्य की बदनामी हुई। ऐसेे में बिना तैयारी के वह अब चारधाम यात्रा शुरू करने जा रही है। इससे राज्य में फिर से महामारी फैल सकती है।
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सुनवाई के दौरान सरकार की ओर चारधाम यात्रा को लेकर जारी एसओपी को शपथ पत्र के साथ पेश किया। कोर्ट ने एसओपी को हरिद्वार महाकुंभ की एसओपी की नकल करार देते हुए अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एसओपी में हरिद्वार जिले में पुलिस तैनाती का ज़िक्र किया है, इससे साफ है कि सरकार यात्रा तैयारियों को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है। सरकार के वकील ने पुजारियों व पुरोहितों के विरोध का ज़िक्र किया तो कोर्ट ने कहा कि हमें धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल है। इसलिए उन्हें पूजा करने का अधिकार है और श्रद्धालुओं के लिए इस पूजा का लाइव टेलीकास्ट किया जाए।
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इस पर अधिवक्ता ने लाइव टेलीकास्ट को शास्त्र सम्मत नहीं बताया तो कोर्ट ने कहा कि जब धार्मिक ग्रंथ लिखे गए, तब तकनीक नहीं थी। जगन्नाथ यात्रा तक का लाइव प्रसारण होता है। पुजारियों व पुरोहितों के हित के बजाय डेल्टा प्लस से हजारों लोगों की जिंदगी बचाना अधिक महत्वपूर्ण है। सरकार को व्यापक हित देखना चाहिए। इसके बाद कोर्ट चारधाम यात्रा शुरू करने के 25 जून के कैबिनेट निर्णय पर रोक लगा दी।
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