देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने जिला विकास प्राधिकरणों को खत्म कर दिया है और वर्ष 2016 से पहले की स्थिति बहाल कर दी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निर्देश पर शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने इस संबंध में आदेश दे दिए हैं।
प्रदेश में जिला विकास प्राधिकरण का विरोध लंबे समय से चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी करीब डेढ़ महीने पहले इसे खत्म करने का संकेत दिया था और इसे निलंबित कर दिया था। अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसे खत्म करने के आदेश दे दिए हैं। इसके पीछे कहा जा रहा था कि प्राधिकरण के नियम पहाड़ के अनुकूल नहीं हैं। इसकी आड़ में लोगों का उत्पीड़न हो रहा है। विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के नेता भी खुलकर जिला विकास प्राधिकरण को खत्म करने की मांग कर रहे थे।
उत्तराखंड में हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, गंगोत्री समेत पांच विकास प्राधिकरण पहले से गठित थे, लेकिन 2016 में कांग्रेस सरकार ने 22 और प्राधिकरण गठित कर दिए। भाजपा सत्ता में आई तो उसने सभी छोटे-बड़े 27 प्राधिकरणों को मिलाकर हर जिले में एक जिला विकास प्राधिकरण बना दिए।
अब पूर्व की तरह सिर्फ पांच प्राधिकरण ही अस्तित्व में रहेंगे। इसकी समीक्षा के लिए बंशीधर भगत की अध्यक्षता में कुछ दिनों पहले एक समिति बनाई गई थी, जिसमें कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे व अन्य सदस्य हैं। अब समिति ने अपने आदेश के तहत 2016 से पहले की व्यवस्था लागू कर दी है।