नई दिल्ली। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से पहले कांवड़ यात्रा को लेकर संकट बढ़ गया है। यूपी सरकार ने इसे मंजूरी दी तो सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: मामले का संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू कर दी। शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर बहस चल रही है। वहीं अब केंद्र सरकार ने कोर्ट ने हलफनामा दायर कर कहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य सरकारों को हरिद्वार से ‘गंगा जल’ लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए। हालांकि, धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकारों को निर्दिष्ट स्थानों पर टैंकरों के माध्यम से गंगा जल उपलब्ध कराना चाहिए।
यह भी पढ़ें : कोरोना की तीसरी लहर दरवाजे पर हो जाएं सतर्क, आईएमए ने यह दी केंद्र व प्रदेश सरकारों को बड़ी चेतावनी। पढ़िये एडवाइजरी
यह भी पढ़ें : गरम मुद्दा : जल्द कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा 100 यूनिट फ्री बिजली का प्रस्ताव, CM धामी से मिले ऊर्जा मंत्री
वहीं, जस्टिस आरएफ नारिमन ने कहा कि कोविड ने सभी को प्रभावित किया है। हम सब भारत के नागरिक हैं। अनुच्छेद 21 के तहत हरेक नागरिक को जीवन का अधिकार संविधान से मिला है। ऐसे में यूपी सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, नहीं तो हमें जरूरी आदेश देना पड़ेगा। सोमवार को मामले की अगली सुनवाई होगी। यूपी सरकार के वकील ने कहा कि सरकार से निर्देश लेकर वह सोमवार को अदालत को जवाब देंगे।
यह भी पढ़ें : जान से मारने की नीयत से महिला दरोगा पर चढ़ा दी कार, पुलिस ने एक किमी तक दौड़कर दो बदमाशों को धर दबोचा
इससे पहले कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार ने इलफनामे के जरिए कोर्ट में जवाब दाखिल किया। प्रदेश सरकार की तरफ से वकील सीएस वैधनाथन ने कहा कि कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट ज़रूरी होगा। कांवड़ यात्रा सांकेतिक तौर पर आयोजित होगी, सीमित लोगों को कांवड़ यात्रा में जाने की इजाज़त दी जाएगी। यात्रा के दौरान कुछ गाइडलाइन भी बनाने की बात कही गई है।
खबरों से रहें हर पल अपडेट :
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए क्लिक करें।