नई दिल्ली। राजस्थान में एक काननू को लेकर विरोध शुरू हो गया है। यह कानून बाल विवाह का पंजीकरण कराने की मंजूरी देता है। यानी अब इस कानून के तहत बाल विवाह अपराध नहीं माना जाएगा। अब राजस्थान में कोई भी बाल विवाह कर सकेगा, बशर्ते वह इसका पंजीकरण करा ले। विधानसभा में यह कानून ध्वनिमत से पारित किया गया है, जिसका विराेध शुरू हो गया है। हालांकि सरकार इसके बचाव में अलग ही राय दे रही है।
विधेयक में कहा गया है कि अगर शादी के समय लड़के की उम्र 21 साल से कम और लड़की की उम्र 18 साल से कम है, तो माता-पिता या अभिभावकों को 30 दिनों के भीतर इसकी जानकारी देनी होगी और पंजीकरण अधिकारी के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस विधेयक के पास होने पर भाजपा ने नाराजगी जताई है। सदन की कार्यवाही के दौरान विधानसभा में मुख्य विपक्ष दल भाजपा ने सवाल उठाते हुए पूछा, “पंजीकरण की क्या आवश्यकता है और बिल का उद्देश्य क्या है। भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या विधानसभा हमें सर्वसम्मति से बाल विवाह की अनुमति देती है? यह विधेयक विधानसभा के इतिहास में काला अध्याय लिखेगा ।
इसपर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इस विधेयक का मकसद हर विवाहित (चाहे बाल विवाह ही क्यों नहीं हो) को पंजीयन कराना होगा। उन्होंने कहा कि संशोधन कही नहीं कहता कि ऐसे विवाह वैध होंगे। कलेक्टर या डीएम चाहे तो उनपर कार्रवाई कर सकते हैं। यह विधेयक केंद्रीय कानून का विरोधाभास नहीं है।विवाह प्रमाण पत्र एक कानूनी दस्तावेज है, जिसके अभाव में विधवा को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
वैसे भी राजस्थान में बाल विवाह कोई नई बात नहीं है। तमाम प्रतिबंधों के बाद भी यहां के गांवों में चोरी-छिपे कई बाल विवाह होते रहे हैं।
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