नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा के दर्शनों को उमड़े भक्त, कर रहे कोविड महामारी से मुक्ति की प्रार्थना

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नैनीताल। कुमाऊं का प्रसिद्ध आस्था व श्रद्धा का पर्व नंदा देवी महोत्सव शुरू हो चुका है। मां नंदा-सुनंदा के दर्शनों के लिए मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त में श्रद्धालु नयना देवी मंदिर पहुंचने लगे। भक्तों ने मुख्य मंदिर व मंडप में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए 10 फीट दूर से ही माता नंदा-सुनंदा की पूजा-अर्चना की और सुख-समृद्धि के साथ ही कोविड महामारी से मुक्ति की प्रार्थना की।

मंडप में लगातार देवी पाठ किया जा रहा है। आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा की ओर से कैलाश जोशी, भीम सिंह कार्की, भुवन बिष्ट, विमल चौधरी, हिमांशु जोशी , शानू साह द्वारा श्रद्धालुओं की ओर से नारियल, प्रसाद, अक्षत फूल चढ़ाए गए। मंदिर के बाहर व अंदर भक्तों की सुविधा के लिए बेरिकेटिंग की गई है। एसएसआई कश्मीर सिंह के नेतृत्व में कर्मियों द्वारा व्यवस्था बनाई जा रही है।

पशुबलि को लाया बकरा लौटाया

नंदा देवी महोत्सव में पशुबलि पर पाबंदी के अनुपालन के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सुबह शिवसेना प्रदेश महासचिव भूपाल कार्की के साथ मन्नत पूरी होने पर बकरा चढ़ाने आये एक श्रद्धालु को मंदिर गेट से ही लौटा दिया गया। मंदिर के अन्य रास्तों पर भी बकरा लाने वालों पर खास नजर रखी जा रही है।

घर बैठे हो रहे दर्शन

नंदा देवी महोत्सव में कोविड गाइडलाइन को देखते हुए स्थानीय चैनल, यू ट्यूब व फेसबुक के जरिए सीधा प्रसारण भी किया जा रहा है। शहर के चार स्थानों तल्लीताल, मल्लीताल, चाट पार्क और श्रीराम सेवक सभा में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई है, जिसके जरिए श्रद्धालु मंदिर में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों को घर बैठे देख सकेंगे।

कदली वृक्ष से बनती हैं मूर्तियां

मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियां कदली यानी केले के वृक्ष के तने से तैयार की जाती है। केले के तने से मां के चेहरे का आकार तैयार किया जाता है और फिर प्राकृतिक रंगों और कपड़ों से उसे भव्य स्वरूप प्रदान किया जाता है, जिसे महोत्सव की समाप्ति पर नैनी झील में विसर्जित कर दिया जाता है।

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