खत्म होने की ओर बढ़ा किसान आंदोलन, किसानों के प्रस्ताव केंद्र को मंजूर

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पिछले मानसून सत्र में पास किए गए तीन कृषि कानूनों को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में रद किए जाने के बाद किसानों के अवरोध (Farmers movement) कम करने की कोशिश जारी है। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने किसानों से कहा है कि आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मामले वापस लिए जाएंगे।

किसान यूनियन के सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने किसानों को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें सभी मामले वापस लिए जाने का जिक्र है। इसके साथ ही सरकार मुआवजे पर भी तैयार हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा के सूत्रों के मुताबिक मुआवजा पंजाब की तर्ज पर हो सकता है। हरियाणा और यूपी सरकार इसके लिए तैयार हो गए हैं। गौरतलब है कि पंजाब सरकार आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दे रही है।

बता दें संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)ने मंगलवार को कहा था कि उसने आंदोलन (Farmers movement) को समाप्त करने का अनुरोध करने वाले सरकार के प्रस्ताव का जवाब दिया है, जिसमें कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसमें किसानों पर दर्ज ‘फर्जी’ मामले वापस लेने के लिए पूर्व शर्त पर भी स्पष्टीकरण मांगा है।

किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाने का प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर से अलग-अलग मुलाकात कर कृषि संबंधी अपने लंबित मुद्दों पर चर्चा कर सकती है। एक किसान नेता ने यह जानकारी दी है। दोनों मंत्रियों के साथ संभावित चर्चा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की दोपहर दो बजे से निर्धारित बैठक से कुछ घंटे पहले होगी।

वहीं, दूसरी तरफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों के शीर्ष संगठन एसकेएम के सदस्यों ने आंदोलन (Farmers movement) के भविष्य का फैसला करने के लिए बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। एक वरिष्ठ किसान नेता ने बताया है कि एसकेएम की पांच सदस्यीय समिति की आज सुबह एक आंतरिक बैठक होगी और फिर वे किसानों के मुद्दों और लंबित मांगों पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘समिति के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलने की संभावना है। इसके बाद, एसकेएम की दोपहर दो बजे की बैठक के बाद फैसला होने की संभावना है।

किसान नेता ने कहा कि किसानों की मांगों पर विचार करने में सरकार का रवैया हाल में ‘सकारात्मक’ रहा है और उन्होंने किसान आंदोलन (Farmers movement) के भविष्य के संबंध में सकारात्मक निर्णय की ओर इशारा किया।

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