बरेली। बरेली के निजी अस्पताल प्रचार के बल पर दूरदराज के इलाकों से मरीजों को अपने यहां भर्ती कराकर उनसे पैसे तो ऐंठ रहे हैं। उन्हें उचित उपचार भी नहीं दे रहे हैं। ऐसा ही मामला रविवार को सामने आया। उत्तराखंड के खटीमा निवासी एक मरीज को परिजनों ने बरेली के डीडीपुरम स्थित गंगाशील अस्पताल में भर्ती कराया। यहां इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। इस पर स्टाफ ने मरीज के परिजनों से अभद्रता शुरू कर दी।
खटीमा निवासी 48 वर्षीय शिवकुमार को सांस लेने में तकलीफ थी। खटीमा में गंगाशील अस्पताल ने काफी प्रचार-प्रसार किया हुआ है। अच्छा अस्पताल समझकर रविवार सुबह परिजनों ने गंगाशील अस्पताल में उन्हें भर्ती करा दिया। शिवकुमार के बेटे विनोद कुमार ने बताया कि इलाज के कुछ देर बाद पिता जी की तबियत में काफी सुधार हो गया था। डाक्टरों ने शाम तक अस्पताल से छुट्टी देने की बात कही। दोपहर तक परिजनों को मरीज से मिलने दिया गया। शिवकुमार ने चाय-ब्रेड भी खाई।
वह बातचीत भी कर रहे थे। अपराह्न करीब 3:30 बजे स्टाफ शिवकुमार की छुट्टी की फाइल तैयार कर रहा था लेकिन कुछ देर बाद शिवकुमार की मौत सूचना स्टाफ ने परिजनों को दे दी। यह सुनते ही परिजन भड़क उठे। उन्होंने कहा कि जब मरीज की हालत ठीक नहीं थी तो छुट्टी क्यों की जा रही थी। इस पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा काटना शुरू कर दिया। इस पर स्टाफ ने परिजनों के साथ बद्मीजी शुरू कर दी।
स्टाफ की बेरुखी के बाद गुस्साए परिजनों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी और हेल्प डेस्ट काउंटर तोड़ दिया। प्रेमनगर थाना पुलिस वहां पहुंच गई तब हंगामा शांत हुआ। परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया और शव लेकर वापस घर चले गए। पिता की मौत के बाद विनोद बदहवास हो गया। उसने बताया कि पिता की हालत में सुधार होने के बाद उनको डिस्चार्ज करने की बात बताई गई थी। इस दौरान दो अन्य मरीजों की मौत हो गई तो स्टाफ उनका शव परिजनों को देने की औपचारिकता में लग गया। कुछ देर बाद उनको अचानक बताया कि मरीज की मौत हो गई है। परिजन समझ ही नहीं पाए कि अचानक आधा घंटा में क्या हो गया।
गंगाशील अस्पताल प्रबंधन से जुड़े मुकेश कुमार ने बताया कि जब मरीज को भर्ती कराया गया था तब उसकी हालत काफी गंभीर थी। मरीज की तुरंत एंजियोग्राफी कराई गई जिसमें 100 प्रतिशत ब्लॉक आया था। परिजनों को इस संबंध में जानकारी भी दी गई थी। परिजनों को आगे के इलाज के बारे में जानकारी दी गई थी। इसी दौरान मरीज की मौत हो गई तो वे हंगामा करने लगे लेकिन समझाने पर पूरी बात समझ आ गई थी। इसके बाद वह शव लेकर चले गए थे।