नैनीताल। हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों के वेतन भुगतान व परिसंपतियों के बंटवारे के लिए रोडवेज कर्मचारी यूनियन व रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद की जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच बंटवारे पर निर्णय के लिए जल्द दोनों के परिवहन सचिवों की बैठक बुलाने के निर्देश केंद्रीय परिवहन सचिव को दिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से कहा कि एक सप्ताह के भीतर बताएं कि बैठक कब तक कराएंगे। इस बीच हाई कोर्ट ने सरकार की ओर से प्रदेश में कोविड कफ्र्यू से संबंधित प्रतिबंध 10 अगस्त तक बढ़ाने पर खुशी जताई।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रोडवेज कर्मचारी यूनियन व रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, रोडवेज के नवनियुक्त एमडी नीरज खैरवाल वीसी के माध्यम से पेश हुए। सचिव परिवहन ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार 34 करोड़ की धनराशि निगम को राज्य आकस्मिक निधि से ऋण के रूप में दे रही है। आज ही इसे निगम के खाते में जमा किया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान रोडवेज के अधिवक्ता ने बताया कि निगम की ओर से कर्मचारियों को एसीपी, ग्रेच्युटी पीएफ भी नहीं दिया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला अलग है। अभी तो वेतन की समस्या है।
बार-बार आदेश के बाद भी बैठक क्यों नहीं
कोर्ट ने कहा कि जब दो देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक होती है तो विदेश सचिवों की मुख्य भूमिका होती है। लेकिन यहां बार-बार आदेश के बाद भी अभी तक केंद्रीय परिवहन सचिव परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के सचिवों की बैठक ही नहीं करा पाए। आखिर इसमें समस्या कहां आ रही है।