चीन छोड़कर अन्य देशों में निवेश की संभावना तलाश कर रही कंपनियों के लिए भारत अपने दरवाजे खोलेगा। भारत ऐसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का खाका तैयार कर और उन्हें निवेश के लिए आमंत्रित करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को यह जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने कहा है कि वह ऐसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खाका तैयार करेंगी जो चीन से आगे भारत को निवेश गंतव्य के रूप में देख रही हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत के ऐसे दिग्गज जो अपने कारोबार को चीन से बाहर ले जाना चाहते हैं, वे निश्चित रूप से भारत की ओर देख रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा, भारत के लिए जरूरी हो जाता है कि वह इन कंपनियों से मिले और उन्हें अपने यहां आमंत्रित करे। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और चीन के बीच जारी कारोबारी जंग के चलते कंपनियों को चीन में व्यापार करने में परेशानी हो रही है। इसके चलते कई कंपनियों ने चीन में अपने कारखाने बंद कर दूसरे देश का रुख किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के बाद सीतारमण ने कहा, मैं उन सभी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की पहचान करूंगी जो चीन से निकलना चाहती है। मैं उनसे संपर्क करूंगी और भारत को निवेश के तरजीही गंतव्य के रूप में पेश करूंगी।
वियतनाम की तुलना में भारत ज्यादा बेहतर
वित्त मंत्री ने कहा कि वियतनाम की तुलना में भारत ज्यादा बेहतर है। मेरी आज कुछ बैंकों और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ भी बात हुई। उनका मानना है कि अब वियतनाम का संकुचन हो रहा है। उसके पास विस्तार के निवेश कार्यक्रमों के लिए श्रमबल की कमी है। वहीं, भारत में कंपनियों के लिए विस्तार की आपार संभाना है। यहां कुशल श्रम बल और विशाल बाजार उपलब्ध है।
यह निर्णय कारोबारी जंग पर आधारित नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि चीन छोड़ने वाली कंपनियों को आमंत्रित करने का निर्णय सिर्फ अमेरिका और चीन के बीच जो चल रहा है उसी पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने कहा, इससे या तो स्थिति और खराब या किसी स्तर पर यह प्रभावित करेगा। लेकिन तथ्य यह है कि कंपनियों इसके अलावा भी कई और वजहों से अन्य स्थानों पर स्थानांतरित होना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि भारत कंपनियों को देश के बाजार का लाभ लेने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहता है। यह बात साफ है कि कंपनियों के लिए भारत ऐसा विकल्प है जिसपर वे विचार करेंगी।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं देश
वित्त मंत्री ने कहा कि कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी अपनाने को लेकर चेतावनी दी है। सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्वबैंक की वार्षिक बैठक में फेसबुक की प्रस्तावित क्रिप्टोकरेंसी लिब्रा को लेकर चली चर्चा के बीच यह टिप्पणी की। सीतारमण ने कहा कि उनमें से कुछ देशों ने कहा कि हममें से किसी को क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ देशों ने तो यहां तक कहा कि इसे स्थिर मुद्रा भी नहीं कहा जाना चाहिए। कुल मिलाकर यही रहा कि इसबारे में कुछ कहे जाने या किए जाने से पहले सभी देश बेहद सतर्कता बरत रहे हैं।
कोटा बढ़ाने को लेकर समर्थन नहीं मिला
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की कोटा संरचना को बढ़ाने में समर्थन की कमी को लेकर शनिवार को निराशा जाहिर की। आईएमएफ कोटा उसके कोष का मुख्य स्रोत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आईएमएफ की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा, भारत कोटा की 15वीं आम समीक्षा के तहत कोटा बढ़ाने के मसले पर पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाने को निराशाजनक मानता है। उन्होंने कहा, हालांकि हम इसे तात्कालिक झटका मानते हैं। हमें उम्मीद है कि समीक्षा के अगले दौर की चर्चा में कोटा बढ़ाने के संबंध में सफलता मिल जाएगी। उल्लेखनीय है कि आईएमएफ में भारत का कोटा 2.76 प्रतिशत और चीन का कोटा 6.41 प्रतिशत है। अमेरिका का कोटा सर्वाधिक 17.46 प्रतिशत है जिसे कारण उसके पास मताधिकार की 16.52 प्रतिशत हिस्सेदारी है।