श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का जीएसएलवी रॉकेट भू-अवलोकन उपग्रह ईओएस-03 को कक्षा में स्थापित करने में बृहस्पतिवार को विफल रहा। रॉकेट के ‘कम तापमान बनाकर रखने संबंधी क्रायोजेनिक चरण में खराबी आने के कारण यह मिशन पूरी तरह संपन्न नहीं हो पाया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि पहले और दूसरे चरण में रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा था। इसरो की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, 51.70 मीटर लंबे रॉकेट जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 ने 26 घंटे की उलटी गिनती के समाप्त होने के तुरंत बाद सुबह पांच बजकर 43 मिनट पर श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड (प्रक्षेपण स्थल) से सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी। पहले और दूसरे चरण में रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा था। ‘क्रायोजेनिक अपर स्टेज तकनीकी खराबी के कारण पूर्ण नहीं हो पाई। जैसी उम्मीद थी उस तरह मिशन सम्पन्न नहीं हो पाया।
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, ” मिशन मुख्य रूप से क्रायोजेनिक चरण में एक तकनीकी विसंगति के कारण पूरी तरह से सम्पन्न नहीं किया जा सका।
यह प्रक्षेपण इस साल अप्रैल या मई में होना था लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे टाल दिया गया था।
फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में इसरो का यह दूसरा मिशन था।
‘मिशन कंट्रोल सेंटर के वैज्ञानिकों ने इससे पहले बताया था कि उड़ान भरने से पहले, ‘लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड ने योजना के अनुसार सामान्य उड़ान भरने के लिए मंजूरी दी थी। पहले और दूसरे चरण में रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा।
कुछ मिनटों बाद हालांकि, वैज्ञानिकों को चर्चा करते देखा गया और रेंज ऑपरेशन्स निदेशक द्वारा मिशन कंट्रोल सेंटर में घोषणा की गई कि ” कुछ खराबी के कारण मिशन पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो सका।
‘मिशन कंट्रोल सेंटर में रेंज ऑपरेशन्स निदेशक की घोषणा की, ” क्रायोजेनिक चरण में, प्रदर्शन में विसंगति देखी गई। मिशन पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो सका।
इस अभियान का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर तस्वीरें उपलब्ध कराना, प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी करना और कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना, चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना था।
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