न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती बढ़ने लगी है। आने वाले समय में बिजली की मांग और बढ़ेगी। ऐसे में अगर पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने बंद इकाइयों को चालू करने के लिए प्रयास नहीं किए तो बिजली संकट (Power crisis in Uttar Pradesh) बढ़ने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
प्रदेश के कमोबेश सभी जिलों में रात्रिकालीन कटौती भी शुरू हो गई है। दो दिन पहले बिजली की मांग करीब 25,537 मेगावाट तक पहुंच गई थी। वहीं शुक्रवार को यह मांग 23,513 मेगावाट रही। जानकारों का कहना है कि वर्तमान में पावर एक्सचेंज पर पूरे देश में बिजली संकट की शुरुआत होने से बिजली बेचने वालों की संख्या कम है, वहीं बिजली खरीदने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है (Power crisis in Uttar Pradesh)।
हरदुआगंज और ललितपुर की जो इकाइयां बंद हैं, उन्हें चालू करके बिजली संकट पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इन इकाइयों की क्षमता ज्यादा है। सितंबर में जब मांग बढ़ेगी तो सभी राज्य पावर एक्सचेंज के सहारे हो जाएंगे। इसका परिणाम यह होगा कि जो राज्य बिजली खरीदना भी चाहेंगे और उनके पास पैसा भी होगा तो वह बिजली नहीं खरीद पाएंगे।
हालांकि उत्तर प्रदेश में शनिवार को मेजा की 660 मेगावाट की एक इकाई चालू हो गई है, जो अभी तक बंद चल रही थी। वहीं, टांडा की भी 110 मेगावाट की एक इकाई चालू हो गई है। इससे बिजली की उपलब्धता में 770 मेगावाट वृद्धि होने से ग्रामीण व तहसील स्तर पर बिजली कटौती में कमी आएगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्तमान में पावर एक्सचेंज के भरोसे रहना उचित नहीं है। उन्होंने बंद पड़ी अनपरा डी उन्नाव ट्रांसमिशन की 765 केवी लाइन को अविलंब चालू कराने की मांग की है।
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