न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल । रेलवे ने हल्द्वानी की गफूर बस्ती से 30 दिन में अतिक्रमण हटाने का एक्शन प्लान जिला प्रशासन को सौंप दिया है। साथ ही प्लान की कापी हाई कोर्ट में भी दाखिल की है। इसमें रेलवे ने साफ कहा है कि अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पर्याप्त पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट उपलब्ध कराना होगा। अदालत ने रेलवे के प्लान को रिकार्ड पर ले लिया है। कोर्ट ने मौखिक तौर पर पैरामिलट्री फोर्स मुहैया कराने की बात भी कही है।
सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में अतिक्रमण की जद में आए सराफत खान, मुनव्वर अली, मो. आरिफ, इरशाद हुसैन, जेबू निशा, इकराम अहमद अंसारी, केशर जहां, तसव्वुर जहां, असरफ अली, जमील अहमद, हबीबुर्रहमान आदि 11 लोगों के प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई हुई। इन सभी का कहना था कि उन्हें रेलवे के दिसंबर में अतिक्रमण हटाने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करनी है। यह भूमि उनके नाम खाता खतौनी में दर्ज है। रेलवे ने उनको सुनवाई का मौका तक नही दिया। रेलवे के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इनको पर्याप्त समय दिया गया है। दशकों से 29 एकड़ क्षेत्रफल में 4365 अतिक्रमण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी के साथ 31 मार्च को बैठक हुई थी।
हाई कोर्ट का अतिक्रमणकारियों की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई से इन्कार
रेलवे की भूमि पर कब्जा जमाए अतिक्रमणकारियों ने हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। मगर कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया है और अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
ये है मामला
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के किनारे बसी गफूर बस्ती और इंदिरानगर में रेलवे की 29 एकड़ जमीन है। जिस पर बीते 47 वर्षोे में 4365 लोगों ने अवैध तरीके से कब्जा कर पक्के आवास बना लिए हैं। इसे लेकर हल्द्वानी के गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने हाई कोर्ट में अतिक्रमण हटाने को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर नौ नवंबर 2016 को उच्च न्यायालय ने 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है, उनको पीपी एक्ट के तहत नोटिस देकर रेलवे जनसुनवाई करें। वहीं, रेलवे की तरफ से कहा गया था कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, करीब 4365 लोग हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया, जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए। अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने के लिए पत्र दिया गया, मगर अभी तक अवैध कब्जे नहीं हटाए जा सके।
दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को छह सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेलवे का विस्तार हो सके। इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके दस्तावेज वैध पाए जाएं है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं।