न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। स्वामी चिदानंद मुनि (Swami Chidanand viral photo) के ऋषिकेश स्थित आश्रम में मुसलमानों द्वारा नमाज पढ़े जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जिसके बाद से धर्मनगरी हरिद्वार के संतों द्वारा ऋषिकेश के संत का विरोध शुरू हो गया है। संतों का कहना है कि ऐसे संत जो सनातन धर्म-संस्कृति का अपमान कर रहा है, उसका बहिष्कार करते हुए मुंह काला किया जाएगा। वहीं पूरे मामले में स्वामी चिदानंद (Swami Chidanand viral photo) का कहना है कि जिस तस्वीर की बात हो रही है वह 4 साली पुरानी 15 अगस्त के दिन की तस्वीर है।
सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें ऋषिकेश के वरिष्ठ संत चिदानंद मुनि (Swami Chidanand viral photo) अपने आश्रम में कुछ मुस्लिम नेताओं के साथ बैठे हैं, जिसमें ऐसा लग रहा है कि मुस्लिम नेता उनके ऋषिकेश आश्रम में नमाज पढ़ रहे हों। फोटो के वायरल होने के बाद से हरिद्वार के संत स्वामी चिदानंद मुनि से खासा नाराज दिखाई पड़ रहे हैं। हरिद्वार के शाम्भवी आश्रम में परमाध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप की अध्यक्षता में संतों द्वारा बैठक कर चिदानंद मुनि का विरोध किया गया है।
संतों के साथ बैठक के बाद स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि गंगा के पावन तट को दूषित करने का जो कार्य चिदानंद मुनि द्वारा किया गया है, उस पर हरिद्वार के संत उनको माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि काली सेना ने संत द्वारा किए गए इस कार्य को धर्म विरोधी करार दिया है। उन्होंने संत को सनातन धर्म और निर्वाणी अखाड़ा से बाहर करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि ऐसे संत भगवा पहने के लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे संत केवल धन प्राप्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
वहीं, काली सेना के प्रमुख विनोद गिरी महाराज ने कहा कि काली सेना ऐसे किसी भी व्यक्ति या संत को बर्दाश्त नहीं करेगी, जो हिंदू विरोधी कार्य करेगा। अगर कोई संत इस तरह का कार्य करता है तो वह उसका विरोध करेंगे। उन्होंने घोषणा की कि चिदानंद मुनि द्वारा जिस तरह से प्रतिबंधित क्षेत्र में नमाज पढ़ाई गई है। उसका काली सेना विरोध करती हैं और घोषणा करती है कि वो ऐसे संत का मुंह काला करने का कार्य करेगी।
वहीं, इस मामले पर स्वामी चिदानंद (Swami Chidanand viral photo) का कहना है कि जिन फोटो को वायरल किया जा रहा है वह फोटो 4 साल पुरानी हैं। हमारे द्वारा इन फोटो में जो भी सज्जन दिख रहे हैं, उनसब के साथ 4 साल पहले 15 अगस्त के दिन तिरंगा फहराया गया था। अब इन तस्वीरों को उपयोग किसी गलत नियत के तहत किया जा रहा है, जो गलत है।
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