उत्तराखण्ड में आयुष डॉक्टरों के लिए आई सबसे अच्छी खबर, पढ़िए…

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। उत्तराखंड की नई सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की एक एसएलपी खारिज (Supreme Court dismissed SLP) कर दी है और आदेश दिया है कि आयुष चिकित्सकों को भी एलोपैथिक चिकित्सकों के समान ही वेतन (salaries of doctors) दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार इनमें भेदभाव नहीं कर सकती। कोर्ट के इस निर्णय से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में नियुक्त करीब 300 आयुष चिकित्सक लाभान्वित होंगे।

राज्य सरकार ने 2012 एलोपैथिक और आयुष दोनों चिकित्सकों को 25 हजार रुपये मासिक वेतन (salaries of doctors) के साथ पांच प्रतिशत वार्षिक अनुबंध पर एक ही चयन प्रक्रिया के तहत चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था। बाद में सरकार ने सिर्फ एलोपैथिक डॉक्टरों का वेतन (salaries of doctors) बढ़ाकर 50 हजार कर दिया, जबकि आयुष डॉक्टरों को पुराना वेतन ही मिलता रहा। सरकार के इस फैसले को भेदभाव वाला बताते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोटाहल्दू में तैनात आयुष डॉक्टर संजय सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि दोनों तरह के डॉक्टर समान वेतन के हकदार हैं।

2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने आयुष व एलोपैथिक डॉक्टरों को समान वेतन (salaries of doctors) देने के आदेश पारित किए। इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आयुष डॉक्टरों के वकील डॉ कार्तिकेय हरि गुप्ता ने तर्क दिया कि आयुष व एलोपैथिक डॉक्टरों की नियुक्ति मेडिकल अफसर के रूप में हुई है। नियुक्ति की विज्ञप्ति में यह साफ किया गया था, जबकि राज्य सरकार ने दलील दी कि दोनों डॉक्टर अलग-अलग तरह का इलाज करते हैं, एलोपैथिक डॉक्टरों का काम अधिक गंभीर व महत्वपूर्ण है।

अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस माहेश्वरी की संयुक्त पीठ ने राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया है और कहा है कि दोनों तरह के डॉक्टर मरीजों का इलाज अपनी-अपनी प्रक्रिया से करते हैं। राज्य उनके बीच अंतर नहीं कर सकता है। उपचार के आधार पर डॉक्टरों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया गया है। साथ ही एलोपैथिक और आयुष डॉक्टरों को समान वेतन (salaries of doctors) देने को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय को सही करार दिया।

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