नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से भेजे गए नौ जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। इन नामों में से कोई एक आने वाले समय में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी बन सकती हैं।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने अपने 17 महीने के कार्यकाल के दौरान एक भी नियुक्ति नहीं की थी, क्योंकि वह कई नामों पर आम सहमति नहीं बना सके थे, जिससे शीर्ष अदालत में नियुक्तियां रुक गई थीं। अब एक बार फिर कॉलेजियम ने नौ नामों की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी, जिन्हें सरकार ने मंजूरी दे दी है। इन नौ जजों में तीन महिला जज भी शामिल हैं। इनमें कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस बीवी नागारत्ना, तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली, गुजरात हाईकोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी भी हैं। इसके अलावा कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका, गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ, सिक्किम हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश सीटी रविकुमार और एमएम सुंदरेश शामिल हैं। मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में 24 न्यायाधीश हैं। नौ जजों की नियुक्ति के बाद भी शीर्ष न्यायालय में एक पद खाली रहेगा।
जस्टिस नागारात्ना बन सकती हैं पहली महिला जज
कॉलेजियम ने जिन नामों की सिफारिश की है, उनमें जस्टिस नागारात्ना भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बन सकती हैं। हालांकि, वह 25 सितंबर से 29 अक्तूबर 2027 तक के लिए यह पद संभाल सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, और जस्टिस उदय यू ललित, एएम खानविलकर, धनंजय वाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव शामिल थे।
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