न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी। शहर के गौलापार में चिड़ियाघर (Haldwani zoo) बनाना आसान नहीं दिख रहा है। सात साल से जिस सुस्ती से इसका काम चल रहा है, उसमें अब केंद्र सरकार के वन मंत्रालय ने अड़ंगा डाल दिया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि बिना जमीन हस्तांतरित हुए निर्माण किस आधार पर किया जा रहा है वन मंत्रालय ने देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय को पत्र भेजकर जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कहा है।
हल्द्वानी में चिड़ियाघर (Haldwani zoo) की बात सबसे मार्च 2015 में शुरू हुई थी। जिसके बाद अक्टूबर, 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गौलापार में जू की नींव रखी थी। इसके लिए 412 हेक्टेयर जमीन चिह्नित किया गया था। जमीन वन विभाग की थी, इसलिए जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया चली। कुछ काम भी हुए।
मगर अब खबर है कि वन मंत्रालय की टीम ने कुछ माह पहले गूगल मैप पर चिड़ियाघर की लोकेशन देखी। दीवार व अन्य कामों पर मंत्रालय ने आपत्ति जताई। करीब दो माह पहले केंद्र की टीम चिड़ियाघर क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण के लिए भी पहुंची थी तो पता चला कि जिस जमीन पर चिड़ियाघर (Haldwani zoo) बन रहा है, वह अभी वन विभाग ने सरकार हस्तांतरित किया ही नहीं है।
केंद्र ने बिना जमीन हस्तांतरित हुए निर्माण को वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन माना है। केंद्र ने अब इंटीग्रेटेड रीजनल आफिसर (आइआरओ) देहरादून को पत्र लिखकर नियम विरूद्ध काम करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहा है। वन मंत्रालय के आइआरओ टीसी नौटियाल का कहना है कि मामले में नियमानुसार कार्रवाई की तैयारी है।
6 साल में हुआ सिर्फ यह
चिड़ियाघर (Haldwani zoo) के नाम पर नींव रखने के बाद से 6 साल में 13 किमी लंबी दीवार, कृत्रिम झील बनने के साथ नलकूप स्थापित हो पाया है। इस काम में 15 करोड़ खर्च हो गए।
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