फिर अलग होने की राह पर अखिलेश-शिवपाल, भतीजे की बुलाई बैठक में नहीं पहुंचे चाचा, भागवत कथा सुनने पहुंचे

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न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Akhilesh-Shivpal) अब भी नाराज हैं। वह मंगलवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई सहयोगी दलों की बैठक में नहीं पहुंचे। बैठक में शामिल होने के लिए ओमप्रकाश राजभर, रालोद से राजपाल बालियान समेत दूसरे नेता सपा कार्यालय पहुंचे लेकिन प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कन्नी काट ली। लखनऊ में आहूत बैठक में न जाकर शिवपाल इटावा जिले के भरथना तहसील के नगला राजा गांव में भागवत कथा सुनने पहुंच गए। सपा-प्रसपा गठबंधन टूट की कगार पर पहुंच गया है।

शिवपाल सिंह यादव (Akhilesh-Shivpal) बीते दिनों हुई विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज थे और कहा था कि वह सपा से विधायक हैं, पर उन्हें बैठक के बारे में सूचना तक नहीं दी गई, जबकि वह इसी बैठक के लिए कई दिनों से लखनऊ में रुके हुए थे। इसके बाद वह नाराज होकर दिल्ली चले गए। मंगलवार को भी वह बैठक में नहीं पहुंचे।

सपा से गठबंधन के बाद शिवपाल ने न सिर्फ अखिलेश को अपना नेता घोषित किया था, बल्कि यहां तक कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। सपा से गठबंधन के बाद उम्मीद थी कि प्रसपा नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन सिर्फ शिवपाल चुनाव लड़े, वह भी साइकिल के सिंबल पर। ऐसे में प्रसपा के तमाम वरिष्ठ नेता दूसरे दलों का रुख कर गए। इसके बाद भी शिवपाल चुनाव मैदान में लगे रहे।

उन्होंने अपनी विधानसभा के साथ अखिलेश की करहल सीट पर भी प्रचार किया। तीसरे चरण का चुनाव पूरा होने के बाद सपा में शिवपाल को स्टार प्रचारक घोषित किया गया। सप्ताह भर तक वह कार्यक्रम मिलने का इंतजार करते रहे। शिवरात्रि से ठीक पहले उन्हें पूर्वांचल दौरे पर भेजा गया। उन्होंने मल्हनी सहित जिन विधानसभा क्षेत्रों में जनसभा की, वहां सपा का परचम लहराया। ऐसे में चर्चा चली कि इनाम के तौर पर उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन अखिलेश के लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस चर्चा पर विराम लग गया। चाचा-भतीजे के बीच चल रही अंतरद्वंद्व का खुलासा तब हुआ, जब शिवपाल को सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में बुलाया नहीं गया।

बैठक में न बुलाए जाने से आहत शिवपाल (Akhilesh-Shivpal) ने एक टीवी चैनल पर कहा कि वह सपा की सक्रिय सदस्यता लेने के बाद विधायक बने हैं। सभी विधायकों को फोन कर बुलाया गया, लेकिन उन्हें नहीं। दो दिन राजधानी में रहकर इंतजार कर रहे थे। फिर भी बुलावा नहीं आया तो अब इटावा जा रहे हैं।

सपा में शामिल होने के बाद शिवपाल यादव (Akhilesh-Shivpal) लगातार यही बात कहते रहे कि पूरा यादव परिवार एकजुट है ताकि किसी भी तरह से परिवार में बिखराव का संदेश ना जाए. इसके बाद भी अखिलेश का यह व्यवहार चाचा को नागवार गुजरा है. इसी वजह से उन्होंने गठबंधन दलों की बैठक से कन्नी काट ली। शिवपाल के समर्थकों को लगता है कि जानबूझकर अखिलेश, चाचा को उनकी जगह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

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