फिर खतरे में उत्तराखंड CM की कुर्सी, भाजपा हाईकमान ने बनाया नेतृत्व परिवर्तन का मन!

220
खबर शेयर करें -

देहरादून। उत्तराखंड की सियासी तस्वीर अपने चार महीने पुराने वाली स्थिति में पहुंच गई है। मार्च महीने की तरह ही अब जुलाई में भी रोज ही राज्य की सियासत में हलचल बढ़ रही है। अब दिल्ली से खबर है कि एक बार फिर से सीएम का चेहरा बदलने वाला है। भाजपा हाईकमान से मुलाकात के बाद सीएम तीरथ सिंह रावत को दिल्ली में ही रोक लिया गया है। उन्हें गुरुवार को देहरादून लौटना था, मगर उनका आना रद हो गया।

सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि देर रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के बाद सीएम तीरथ रावत को दिल्ली में ही रुकने को कहा गया है। वहीं, मंत्री सतपाल महाराज और धन सिंह रावत को भी दिल्ली बुला लिया गया है। इस कारण सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

यह भी पढ़ें : CM तीरथ के उपचुनाव पर पूर्व CEC वीएस संपत ने साफ की स्थिति, अटकलों को लगा विराम

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में फिर शुरू हुई सियासी हलचल, सीएम तीरथ अचानक दिल्ली बुलाए गए

इससे पहले बीती रात सीएम तीरथ सिंह रावत की गृहमंत्री अमित शाह के घर पर बैठक हुई। बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। यह बैठक रात करीब 12 बजे तक चली। इस दौरान विधायक की मौत के बाद खाली हुई हल्द्वानी और गंगोत्री सीटों के संबंध में चर्चा हुई। कहा जा रहा था कि सीएम तीरथ के लिए राज्य में उपचुनाव कराया जाएगा, मगर अब हालात फिर बदलते दिख रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड को जल्द ही एक नया मुख्यमंत्री मिलेगा।

उपचुनाव न होना नेतृत्व परिवर्तन की वजह

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तीरथ सिंह रावत अब भी रामनगर-पौड़ी संसदीय सीट से सांसद हैं। उन्होंने अपने सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया है, जबकि तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी है। यानी, उन्हें किसी भी विधानसभा सीट से नौ सिंतबर तक उपचुनाव जीतना होगा, मगर निर्वाचन आयोग के अनुसार यह भी तय किया गया है कि अगर किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए एक साल या फिर उससे कम समय बचता है तो वहां उपचुनाव नहीं कराया जा सकता। बीते पांच मई को आयोग ने कोरोना का भी हवाला देते हुए उपचुनाव कराने से इन्कार कर दिया था। ऐसे में अब उपचुनाव मुश्किल लग रहा है, जिसके कारण बीजेपी हाइकमान के पास नेतृत्व परिवर्तन का ही एकमात्र विकल्प बचता है।

खबरों से रहें हर पल अपडेट :

हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए क्लिक करें।