Uttrakhand breaking news : कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़े के मामले में सरकार का बड़ा कदम, इन नामी लैबों पर मुकदमा। पढ़िये यह हुआ खुलासा

728
खबर शेयर करें -

 

हरिद्वार: कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विस के साथ ही हरियाणा की नलवा लैबोरेटरी और दिल्ली की डा.लाल चंदानी लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इन तीनों पर महामारी एक्ट के साथ ही आपराधिक षडयंत्र रचने और सरकारी धन हड़पने के लिए जालसाजी करने का आरोप है। एक रोज पहले मामले की एसआइटी जांच के आदेश भी हो चुके हैं। जबकि प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर अलग से मामले की जांच की जा रही है।
हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अवूदई ने बताया कि सीएमओ डा.एसके झा की तरफ से यह मामला दर्ज कराया गया है। शहर कोतवाली में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विस नामक कंपनी को हरिद्वार कुंभ मेला के दरिम्यान कोरोना जांच का काम दिया गया था। उसने नलवा लैबोरेटीज हिसार हरियाण और डा.लाल चंदानी लैब दिल्ली के माध्यम से यह काम कराने की जानकारी दी थी। आरोप है कि नामजद संस्थाओं ने कोरोना जांच के नाम पर फर्जी इंट्री की। ज्यादातर इंट्री राज्य के बाहर की लोकेशन पर दिखाई गई। एक ही पते और एक ही मोबाइल नंबर के पंजीकरण पर कई सैंपल होना दर्शाया गया। हरिद्वार सीमा पर नेपाली तिराहे के पास बने जांच केंद्र में एक ही पते पर 3825 व्यक्तियों के सैंपल लेना दर्शाया गया। इन संस्थाओं पर आरोप है कि उन्होंने कोरोना जांच की फर्जी इंट्री कर मानव जीवन को खतरे में डाला। साजिश रचकर राज्य के साथ धोखाधड़ी की। यही नहीं सरकारी धन हड़पने की मंशा से जालसाजी भी की। सरकारी आदेशों की अवहेलना का आरोप भी इन पर लगा है।

ऐसे पकड़ में आया था मामला

फरीदकोट पंजाब के एक व्यक्ति की सजगता से उजाकर हुआ। इस व्यक्ति के मोबाइल पर हरिद्वार में कोरोना जांच कराए जाने का संदेश पहुंचा था, जबकि वह उस दौरान हरिद्वार आए ही नहीं थे। उन्होंने आइसीएमआर से इसकी शिकायत की थी। इसके बाद उत्तराखंड शासन ने इसकी प्रारंभिक जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एक लाख से ज्यादा फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार किए जाने का अंदेशा होने पर प्रकरण की विस्तृत जांच कराने का फैसला किया गया।

अधिकांश रिपोर्ट निगेटिव

स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि फर्म ने तीन अप्रैल 2021 से 16 मई, 2021 के बीच कुल 104796 सैंपल लिए। संक्रमण दर मात्र 0.18 पाई गई। जबकि, उस समय हरिद्वार की सामान्य संक्रमण दर 5.30 थी। ऐसे में विभाग अधिकांश रिपोर्ट और इंट्री को फर्जी मान रहा है।

कंपनी का पता भी फर्जी

मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विस कंपनी ने स्वास्थ्य विभाग को अपने कार्यालय का नोएडा का जो पता दिया था, वह भी फर्जी निकला। दस्तावेजों में इस पते पर जो फोन नंबर दर्ज फोन नंबर भी आउट ऑफ सॢवस हो चुके हैं। कंपनी ने अपने कॉरपोरेट ऑफिस का पता नोएडा के सेक्टर-63 में बताया है, लेकिन इस पते पर टीन शेड में प्लास्टिक का सामान बनाने वाली एक छोटी फैक्ट्री चल रही है। फैक्ट्री के मालिक आरबी प्रसाद का कहना कि उन्होंने फिलहाल इस जगह को किराये पर ले रखा है।

सवालों के घेरे में अफसर

कोरोना फर्जीवाड़े की जांच में अभी तक जितनी परतें उधड़ी हैं, उससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह कि जिस कंपनी को करोड़ों का काम दिया गया, उसके दस्तावेजों का वेरीफिकेशन तक नहीं किया गया। यही नहीं, यह जानने की कोशिश नहीं की गई कि उसका कहीं ठिकाना है भी या नहीं।