जंगल की आग : हाईकोर्ट में पेश हुए पीसीसीएफ, जवाब सुनकर भड़के जज, जानें क्या कहा

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नैनीताल । उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से हाईकोर्ट बेहद नाराज है। उसने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू कर दी है और पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। बुधवार को कोर्ट में वर्चुअल माध्यम से पीसीसीएफ राजीव भरतरी पेश भी हुए और उन्होंने अब तक जंगलों में लगी आग का विस्तृत ब्यौरा पेश किया। साथ ही दावानल नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों तथा भावी कार्ययोजना की जानकारी दी, मगर कोर्ट उनका जवाब सुनकर बिफर पड़ी। आग बुझाने के इंतजाम पर नाराजगी जताते हुए सुनवाई कर रही न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पूछा कि क्या भारत सरकार से मदद मांगी गई। कोर्ट ने विस्तृत जानकारी देने के लिए अपराह्न दो बजे तक सुनवाई स्थगित कर दी।

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एनडीआरएफ का फुल फार्म तक नहीं बता पाए पीसीसीएफ

कोर्ट में वर्चुअली पेश हुए पीसीसीएफ राजीव भरतरी से जब कोर्ट ने एनडीआरफ का फूल फॉर्म पूछा तो वह इसे नहीं बता पाए। कोर्ट ने कहा कि आपके सामने फायर वॉर चल रही है , उसके निजात पाने के लिए आपके पास कितनी फौज है। वह यह भी नही बता पाए। इसके बाद कोर्ट ने दो बजे उनसे डिटेल के साथ पेश होने को कहा है।

2016 में कोर्ट ने जारी की थी गाइडलाइन

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व राजीव बिष्ट ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के जंगलों में भीषण आग लगी है। प्रदेश सरकार इस सम्बंध में कोई ठोस कदम नही उठा रही है, जबकि हाइकोर्ट ने 2016 में जंगलो को आग से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। 2004 में शासन ने जीओ जारी कर गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था, जिस पर आज तक अमल नही किया गया । सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग कर रही है उसका खर्चा बहुत अधिक है। पूरी तरह से आग भी नही बुझती है। इसके बजाय गांव के स्तर पर कमेटियां गठित की जाए। कोर्ट ने विभिन्न समाचार पत्रों में आग को लेकर छपी खबरों का गंभीरता से संज्ञान लिया। साथ ही सरकार से पूछा कि इसको बुझाने के लिए क्या क्या उपाय किये जा रहे हैं।

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मंगलवार को कोर्ट ने यह कहा था

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी को बुधवार को सुबह सवा दस बजे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब भी किया है और कहा है कि कोविड काल मे लोग परेशान हैं, ऊपर से दावानल की घटनाओं ने पब्लिक को मुश्किल में डाल दिया है। साथ ही पर्यावरण पर भी संकट आ गया है। 2016 में भी इसी तरह जंगल राख बन रहे थे, तब भी कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए आधुनिक उपकरण क्रय करने समेत दावानल नियंत्रण को जरूरी कदम उठाने के आदेश पारित किए थे, मगर इस आदेश का अब तक पालन नहीं किया गया। काेर्ट ने इस पर सरकार को फटकारते हुए पूछा है कि उसके पुराने आदेश का अब तक पालन क्यों नहीं किया गया।