मंत्री पद खाली, सत्र नजदीक: सरकार के सामने संसदीय कार्य मंत्री चुनने की चुनौती

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उत्तराखंड में लंबे समय से चल रही मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच अब सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। आगामी वर्षा कालीन विधानसभा सत्र को देखते हुए सरकार को जल्द ही संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति करनी होगी।

दरअसल, राज्य की पंचम विधानसभा का वर्षा कालीन सत्र 21 अगस्त 2025 से पहले आहूत किया जाना अनिवार्य है। भारतीय संविधान के अनुसार, छह महीने के भीतर विधानसभा का सत्र बुलाया जाना जरूरी होता है। इसी क्रम में विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग की ओर से विधानसभा सत्र की तैयारी को लेकर पत्र जारी किया गया है।

विधानसभा सत्र की तारीख तय होने के बावजूद अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि सत्र देहरादून स्थित विधानसभा भवन में आयोजित होगा या गैरसैंण में। सरकार द्वारा स्थान तय किए जाने के बाद विधानसभा सचिवालय को विधिवत जानकारी दी जाएगी, ताकि तैयारी उसी अनुरूप की जा सके।

विभागीय पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि संबंधित विभाग सत्र से जुड़ी सूचनाओं को पहले से संकलित करें और उनके उत्तर तैयार करने के लिए विभागीय नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करें। इससे यह संकेत मिलता है कि सत्र को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों को गंभीरता से लिया जा रहा है।

गौरतलब है कि पूर्व में प्रेमचंद अग्रवाल संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, लेकिन उन्हें मंत्रिपरिषद से हटाए जाने के बाद से यह विभाग खाली चल रहा है। ऐसे में आगामी सत्र के दौरान सरकार की तरफ से विधानसभा में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इस पद पर नियुक्ति जरूरी हो गई है।

संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति को लेकर सरकार के पास दो विकल्प हैं—या तो मंत्रिमंडल विस्तार करते हुए किसी नए विधायक को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए, या फिर मौजूदा मंत्रियों में से ही किसी को अतिरिक्त प्रभार दिया जाए।

जो भी निर्णय लिया जाए, यह तय है कि विधानसभा सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति अब टाली नहीं जा सकती। सरकार के लिए यह न केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता है, बल्कि उसकी सदन में साख बनाए रखने के लिहाज से भी अहम है।