बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बालिकाओं ने असुरक्षित स्थानों की पहचान

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हल्द्वानी। महिला और बाल विकास विभाग नैनीताल ने “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका विषय था “बालिकाओं द्वारा असुरक्षित स्थानों का चिन्हीकरण”। इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने बालिकाओं से उनकी समस्याओं पर चर्चा की और उन्हें सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के उपायों पर जानकारी दी।

कार्यशाला में बाल विकास अधिकारी शिल्पा जोशी ने बालिकाओं से वार्ता की और उनसे ऐसे स्थानों के बारे में पूछा जहां वे असुरक्षित महसूस करती हैं। इसके अलावा, उन्होंने बालिकाओं को अपना संपर्क नंबर भी साझा किया, ताकि यदि कोई समस्या हो, तो वे तुरंत मदद प्राप्त कर सकें। शिल्पा जोशी ने बताया कि पिछले कार्यशालाओं में चिन्हित असुरक्षित स्थानों पर संबंधित विभागों द्वारा लगातार कार्यवाही की जा रही है।

उन्होंने स्कूल प्रबंधन को यह निर्देश दिया कि यदि कोई बालिका तीन दिन से अधिक समय तक बिना सूचना के अनुपस्थित रहती है, तो उसके अभिभावक से शीघ्र संपर्क स्थापित किया जाए। इसके साथ ही, कार्यशाला में बालिकाओं से पिछली कार्यशाला का फीडबैक भी लिया गया, ताकि उन स्थानों पर की गई कार्यवाही के प्रभाव का आकलन किया जा सके।

कार्यशाला में सुपरवाइजर प्रियंका आर्या ने बाल विवाह और घरेलू हिंसा पर जानकारी दी, जबकि प्रोबेशन कार्यालय से काउंसलर तबस्सुम ने बालिकाओं को उत्तराखंड पुलिस ऐप और हेल्पलाइन नंबर के बारे में बताया।

बालिकाओं ने विभिन्न असुरक्षित स्थानों को चिन्हित किया, जैसे कुछ बैंक्वेट हॉल, दुकाने, होटल्स और ठेले, जहां पर असामाजिक तत्व झुंड बनाकर खड़े रहते हैं। बालिकाओं ने इस संबंध में कुछ अहम सुझाव भी दिए, जिनमें साइबर अपराध पर कार्यशाला आयोजित करना, अभिभावकों और बालकों के लिए कार्यशालाएं आयोजित करना, शराब की दुकानों, ढाबों और होटलों का नियमित निरीक्षण करना, और बाइक व गाड़ियों की तेज़ रफ्तार पर कड़ी कार्यवाही करना शामिल है।

इसके अतिरिक्त, बालिकाओं ने सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग, चिन्हित स्थानों पर पुलिस पेट्रोलिंग, स्ट्रीट लाइट लगाने और ई-रिक्शा तथा ऑटो स्टैंड पर गश्त बढ़ाने की भी सिफारिश की।

कार्यशाला में चिन्हित असुरक्षित स्थानों और उनके कारणों के साथ समिति अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी महोदया को प्रेषित करेगी, ताकि संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जा सके। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पहले की कार्यशाला से प्राप्त फीडबैक के आधार पर नए असुरक्षित स्थानों की पहचान करना और एक भयमुक्त वातावरण सुनिश्चित करना है, जहां बालिकाएं बिना डर के स्वतंत्र रूप से आ-जा सकें।

कार्यक्रम में स्कूल के प्रधानाचार्य, शिक्षिकाएं, बालिकाएं और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। जिलाधिकारी महोदया के निर्देशानुसार, उन स्थानों पर जल्द ही कार्यवाही की जाएगी, जहां बालिकाओं को असुरक्षित महसूस हुआ है।