न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बना रही है। यह चुनाव भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लड़ा था और कहा गया था कि भाजपा के चुनाव जीतने पर धामी ही प्रदेश की बागडोर संभालेंगे। भाजपा तो जीत गई, मगर पुष्कर सिंह धामी अपना चुनाव हार गए। ऐसे में अब मुख्यमंत्री (CM of Uttarakhand) कौन बनेगा, यह सवाल पूरे राज्य की जनता के मन में तैर रहा है।
हालांकि भाजपा के हलकों में चर्चाएं गर्म है कि पार्टी चुनाव हारने के बावजूद धामी (CM of Uttarakhand) को ही सत्ता की बागडोर सौंप सकती है। इसके पक्ष में पश्चिम बंगाल में विस का चुनाव हारी ममता बैनर्जी का उदाहरण दिया जा रहा है, जो पार्टी को जिता गई थीं, लेकिन खुद चुनाव हार गईं। धामी को सीएम (CM of Uttarakhand) बनाए जाने के पक्ष में यह तर्क भी दिया जा रहा है कि चुनाव के दौरान उनके पास इतना समय नहीं था कि वह अपनी विधानसभा सीट पर समय देते। उन्होंने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया। उनकी विधानसभा सीट पर प्रचार की कमान उनकी पत्नी के हाथों में रही। हालांकि आखिरी समय में उन्होंने ताकत झोंकी लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए। पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी का कहना है कि इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय करना है और सरकार गठन को लेकर एक-दो दिन में स्थिति साफ हो जाएगी।
चंपावत से चुनाव जीते कैलाश गहतोड़ी और जागेश्वर से विधायक बने मोहन सिंह मेहरा ने धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश भी कर दी है, मगर अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है। भाजपा कार्यकर्ता भी हाईकमान से आदेश मिलने का इंतजार कर रहे हैं। मगर इस बीच कुछ नामों की चर्चा बड़ी तेजी से उठी है, जिन्हें राज्य की बागडोर साैंपी जा सकती है।
इन नामों की हो रही चर्चा
मुख्यमंत्री (CM of Uttarakhand) के चेहरे के तौर पर विधायकों में से सतपाल महाराज और धन सिंह के नामों की चर्चा है। दोनों नाम पूर्व में भी चर्चा में रहे हैं। विधायकों से जुदा यदि पार्टी बाहर से मुख्यमंत्री के चेहरा तलाशती है तो उसके लिए तीन प्रमुख नामों की चर्चा शुरू हो गई है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के नाम लिए जा रहे हैं। वहीं पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम भी मुख्यमंत्री के रेस में है। कुछ जनप्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा भी छेड़ दी है।
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