गुड़गांव (हरियाणा) : देश में तेजी से बढ़ता प्रदूषण अब आम आदमी के लिए जानलेवा बनने लगा है। इस प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए सरकार तो प्रयास कर ही रही है, इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन ने सरकारी प्रयासों को और पंख लगा दिए। एसोसिएशन की मुहिम पूरी संकल्प शक्ति के साथ अब उत्तराखंड समेत 25 राज्यों में चल रही है, खास बात यह है कि एनजीओ के रूप में यह एसोसिएशन हर प्रकार के पॉल्यूशन को कंट्रोल करने में जुटी है। बेहतरीन प्लान के साथ लगी टीम को इसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं।
देश में भयावह होते हर प्रकार के प्रदूषण को लेकर सरकार लगातार चिंतित है और इसको नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास भी कर रही है। ऐसे में सरकार की कसरत के साथ ही इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन ने भी इस दिशा में वर्ष 2001 में कदमताल शुरू कर दी। एनजीओ के फाउंडर डायरेक्टर आशीष जैन के दिशा-निर्देशन में पूरे प्लान के साथ यह तय हुआ कि सर्वाधिक प्रदूषण युक्त राज्यों से इस मुहिम को पहले जनजागरण में बदला जाए फिर तकनीकि रूप से नियंत्रित किया जाए। कसरत शुरू हुई तो बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर तमाम ऐसे प्रबुद्ध लोग एसोसिएशन से जुड़ गए जिन्होंने टीम मेम्बर्स को एक मजबूत इच्छाशक्ति प्रदान कर दी। तब से हर प्रकार के प्रदूषण को जड़ से मिटाने का महाअभियान लगातार जारी है। एनजीओ की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राधा गोयल से जब न्यूज जंक्शन-24 ने बात की तो उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ उन लोगों के बारे में भी अपना प्लान साझा किया जो इसकी बेसिक इकाई हैं पर उनके बारे में शायद ही किसी अन्य ने सोचा होगा। डॉ. राधा ने बताया कि उनका एनजीओ हवा, पानी और कूड़ा समेत सभी प्रकार के प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में काम कर रहा है। उनका पहला फोकस जनजागरूकता पर है, दूसरा फोकस प्लास्टिक वेस्ट सामग्री को कलेक्ट कर री-साइकिल कराकर उसको भी उपयोगी बनाना है। यह कार्य 25 राज्यों में चल रहा है।
यह मशीनें सोक रहीं सड़कों का प्रदूषण
घनी आवादी वाले महानगर गुड़गांव एंड फरीदाबाद में सड़कों पर दिन-रात फर्राटा भरते तमाम वाहन वायु प्रदूषण बड़ा कारण हैं। यही प्रदूषण सांस और फेफड़ों के लिए मुसीबत बन रहा है। इस प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीओ ने गुड़गांव और फरीदाबाद में रोड डिवाइडर पर वायु प्रदूषण सोखने वाली वायु मशीन स्थापित की हैं। यह मशीनें वाहनों के धुएं को सोख जाती हैं। इससे सड़कों पर दुपहिया वाहन या फिर पैदल चलने वालों के लिए यह वायु प्रदूषण उतना घातक नहीं हो पाता है। यह प्रोजेक्ट सरकार और लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रहा है।
कलेक्शन करने वालों के बच्चों को एजुकेशन सेंटर
डॉ. गोयल बताती हैं कि जो लोग सॉलिड वेस्ट कलेक्शन करने वाले हैं उनके बच्चों के लिए एजुकेशन सेंटर भी बनाए हैं। ताकि बच्चे पढ़ सकें। इन एजुकेशन सेंटर्स के जरिये बच्चों को पढ़ाने के साथ ही कलेक्शन करने के दौरान किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए, इसको लेकर भी जागरूक कर रहे हैं। ताकि इस मिशन में लगे बेसिक इकाई के इन वारियर्स को कोई नुकसान न हो। इसके लिए फिलहाल पांच एजुकेशन सेंटर काम कर रहे हैं।
रूटीन हेल्थ चेकअप भी मिशन का हिस्सा
डॉ. गोयल बताती हैं कि सॉलिड वेस्ट पर काम करने वालों की सेहत बहुत जरूरी है। इसकी चिंता भी एनजीओ करती है। इसके लिए सभी वर्कर्स के लिए समय-समय पर हेल्थ चेकअप कैम्प लगाकर कराया जाता है।