न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी । पुरी पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती हल्द्वानी में हैं। शनिवार को उन्होंने एक संगोष्ठी में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड समेत दूसरे मठ-मंदिरों पर सरकार के हस्तक्षेप का अधिकार सरकार को नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के संकेत पर पूर्व में हमने 32 बिंदु प्रधान न्यायाधीश के पास भेजे थे, जिसमें कहा था कि सेक्युलर शासन तंत्र को धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता। इसलिए देवस्थानम बोर्ड पर सरकार को पुजारियों की बात सुननी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर प्रभावी तरीके से बात रखी जाए तो कोई भी काननू बदला जा सकता है। कृषि कानून के विरोध का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रभावी तरीके से आवाज उठाई जाए तो लोकतंत्र को भी भीड़तंत्र के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के वैदिक ज्ञान को कोई दबा नहीं सकता है। विज्ञान ने जिसे प्रमाणित किया, वो बातें हमारे वेदों में पहले से विद्यमान हैं।
शंकराचार्य ने कहा कि भारत को विकृत करने के लिए पाकिस्तान, चीन व क्रिश्चियन तंत्र ने उत्तराखंड को अपना केंद्र बनाया है। उत्तराखंड की सीमाएं ऐसी हैं कि चीन से किसी भी समय संकट आ सकता है। समाधान का मौलिक स्वरूप क्या हो सकता है, इस ओर हमारा ध्यान नहीं है।
यूपी में तीन पाकिस्तान बनाने की तैयारी, मोदी-योगी विचार करें
जगतगुरु ने कहा कि उच्चतम न्यायालय व लोकसभा के माध्यम से एक संदेश प्रसारित हुआ कि अमुक पंथ का अधिकार तो नहीं बनता लेकिन उपहार के रूप में उन्हें जमीन दी जाए। यह किसी नेता की आवाज हो सकती है, न्यायालय की भाषा यह नहीं हो सकती। यूपी सरकार मंदिर से 32 किमी दूर पांच एकड़ जमीन दे चुकी है। वे लोग इतने चतुर हैं कि मंदिर का स्वरूप क्या होगा, चुपचाप देखते रहे। जब मंदिर का स्वरूप सामने आ गया तब मक्का को मात देने की विधा से वे पांच एकड़ जमीन का उपयोग करेंगे। आने वाले समय में मथुरा, काशी को लेकर भी इसी निर्णय की पुनरावृत्ति होगी। फैसला वर्तमान में भले अच्छा लग रहा, लेकिन भविष्य में यूपी में तीन पाकिस्तान बनाने की भूमिका बन गई है। योगी व मोदी को इस पर विचार करना चाहिए।
देश में तथाकथित धर्मगुरुओं की बाढ़
संगोष्ठी के दौरान शंकराचार्य ने कहा कि देश में तथाकथित धर्मगुरुओं की बाढ़ आ गई है। अहमदाबाद के महामंडलेश्वर ने जब खुद को जगतगुरु लिखा तो अंग्रेजों ने यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया था कि चार पीठों के शंकराचार्य ही जगतगुरु लिख सकते हैं। बाद में शासन तंत्र ने नहीं चाहा कि धार्मिक, आध्यात्मिक जगत उसके समकक्ष या ऊपर हो। व्यंग्य करते हुए बोले, कुछ वर्ष पहले सोनिया, आडवाणी के नकली दामाद घूम रहे थे। अगर वह जेल में बंद हो सकते हैं तो नकली शंकराचार्य बनकर घूमने वालों को दंड क्यों नहीं दिया जा सकता।
तब भी बन जाता राम मंदिर
शंकराचार्य बोले, योगी व मोदीजी को विचार करना चाहिए कि पीवी नरसिम्हा राव के शासनकाल में रामालय ट्रस्ट बना। यदि मैंने उस पर हस्ताक्षर कर दिए होते तो यथा स्थान राम मंदिर व अगल-बगल मस्जिद बन गई होती। आज अयोध्या में भव्य राममंदिर बन रहा है। इसके पीछे कौन था यह देखना चाहिए। स्वामी ने कहा, मुझे श्रेय नहीं चाहिए, लेकिन इतिहास तो इतिहास ही है।
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