राजू अनेजा, काशीपुर।
क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में लगने वाले उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध चैती मेले को जिला प्रशासन की तरफ से हरी झंडी मिल गई है ।मेले की तैयारियों को लेकर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित बैठक में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए है। मां बाल सुंदरी की कृपा ही है कि यहां कदंब का विशाल बृक्ष जड़ से खोखला होने के बाद भी ऊपर से हराभरा है। मां इसकी छाया लेती हैं।
बताते चलें कि विगत वर्ष कोरोना के चलते पूरे देश में लगे लॉकडाउन के दौरान काशीपुर में लगने वाले चैती मेले को भी स्थगित करना पड़ा था। परंतु अबकी बार उत्तर भारत के विख्यात खेती मेले को लेकर जिला प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। जिलाधिकारी रंजना राजगुरू ने यहाँ कलेक्ट्रेट सभागार में काशीपुर माह अप्रैल में चैती मेले की तैयारियों को लेकर एक बैठक में सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उन्होंने मेले में कोविड-19 के मद्देनजर मेले की तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर करने के निर्देश दिए। डीएम ने काशीपुर के संयुक्त मजिस्ट्रेट गौरव सिंघल को निर्देश दिये कि स्थानीय स्तर पर बैठक बुलाकर व्यवस्था करें। ताकि मेला के सफल संचालन हेतु आवश्यक तैयारियां समय से की जा सकें। उन्होने कहा कि मेला स्थल पर पानी, शौचालय, विद्युत, सुरक्षा, साफ-सफाई आदि व्यवस्था के सम्बन्ध में जो भी प्रक्रिया की जानी है उन्हे ससमय प्लानिंग बनाकर पूर्ण कर लिया जाये।
बुक्सा जाति की कुल देवी हैं मां बाल सुंदरी
चैती मंदिर के मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री बताते हैं आदिशक्ति की बाल रूप में पूजा होने के कारण ही इसे बाल सुंदरी कहा जाता है। माता बाल सुंदरी बुक्सा जाति की कुल देवी हैं। आज भी बुक्सा जाति के लोग वर्ष में एक बार माता विधिवत पूजन करने आते हैं और जागरण व भंडारे का आयोजन करते हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल कदंब का वृक्ष है, जो नीचे से खोखला होने पर भी ऊपर से हराभरा है। इसे मां की महिमा का प्रतीक माना जाता है। माता को छाया देने के लिए एक ऐसा वृक्ष खड़ा है।
औरंगजेब ने कराया था मां बाल सुंदरी के मंदिर का जीर्णोद्धार
महाभारत काल का इतिहास समेटे काशीपुर में औरंगजेब जैसे मूर्ति भंजक शासक को नतमस्तक होना पड़ा था। काशीपुर में उज्जैनी शक्ति पीठ के नाम से प्रसिद्ध भगवती बाल सुंदरी का मंदिर शक्तिपीठ भी माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण औरंगजेब के सहयोग से किया गया था।
52 शक्तिपीठों में से एक है बाल सुंदरी का मंदिर
देवभूमि उत्तराखंड का काशीपुर नगर महाभारत और बौद्ध कालीन इतिहास व पौराणिक कथाओं को खुद में समेटे हुए है। मंदिर के पंडा व पुजारी विकास पंडित बताते हैं कि काशीपुर का यह अध्यात्मिक मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। माता का यह नाम उनके द्वारा बाल रूप में की गई लीलाओं की वजह से पड़ा है। इसे पूर्व में उज्जैनी एवं उकनी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता था। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव माता सती के जले हुए शरीर को लेकर पूरे लोक का भ्रमण कर रहे थे तभी माता सती के बांह का अंग यहां पर गिरा और यहां पर शक्तिपीठ बना।