न्यूज जंक्शन 24, बेंगलुरु। दुर्लभ बीमारी से जूझ रही PAKISTAN की दो वर्षीय बच्ची को भारतीय डाक्टरों ने उसे इलाज देकर उसकी जिंदगी बचाई। बच्ची अमायरा सिकंदर खान म्यूकोपॉलीसेकेराइडोसिस टाइप-एक (एमपीएस-एक) नामक एक अज्ञात बीमारी से जूझ रही थी मगर बेंगलुरु के एक अस्पताल में सफलतापूर्वक अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (bone marrow transplant) कर यह कारनामा किया। प्रतिरोपण के चार महीने बीत जाने के बाद चिकित्सकों ने पाया कि बच्ची स्वस्थ है और उसके एंजाइम ने सामान्य रूप से काम करना शुरू कर दिया है।
मां को नहीं थी बीमारी के बारे में जानकारी
बच्ची की मां सदफ ने कहा कि उन्हें इस बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। काफी शोध के बाद यहां भारत में डॉ. भट से संपर्क किया था। म्यूकोपॉलीसेकेराइडोसिस एक ऐसी दुर्लभ स्थिति है, जिसमें आंखों और मस्तिष्क सहित शरीर के कई अंगों के कार्य करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
शरीर में एक किण्वक गायब हो जाता है
चिकित्सकों ने बताया कि अमायरा (उम्र 2.6 साल) को उसके पिता सिकंदर बख्त के अस्थि मज्जा का उपयोग करके बचाया गया। अस्पताल में बच्ची का इलाज करने वाले डॉ सुनील भट ने कहा कि म्यूकोपॉलीसेकेराइडोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में एक किण्वक (एंजाइम) गायब हो जाता है। उन्होंने कहा, उस एंजाइम की कमी के कारण रोगी के शरीर में कई परिवर्तन होने लगते हैं। यह रक्त की जांच करता है और किसी भी पुरानी या क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को हटा देता है।
19 साल की उम्र में बच्चा विकलांग हो सकता है
उन्होंने बताया, ऐसी दुर्लभ स्थितियों वाले अधिकांश बच्चे 19 वर्ष की आयु के होने तक विकलांग हो जाते हैं, और उनमें से ज्यादातर को जान गंवानी पड़ती है। इसलिए अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण इसके संभावित उपचार में से एक है।