भारत सरकार ने घरेलू कच्चे तेल पर लगे 1,850 रुपये प्रति टन के विंडफॉल टैक्स को समाप्त कर दिया है। यह टैक्स उन तेल कंपनियों पर लगाया जाता था, जो अप्रत्याशित या असाधारण मुनाफा कमाती थीं। 18 सितंबर से यह टैक्स अब नहीं लिया जाएगा, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आने के संकेत मिल रहे हैं।
पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने हाल ही में कहा था कि अगर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक कम रहती हैं, तो तेल कंपनियां ईंधन की कीमतों में कमी पर विचार कर सकती हैं। अब जब विंडफॉल टैक्स खत्म हो गया है, तो उम्मीद और भी मजबूत हो गई है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दाम घटा सकती हैं।
विंडफॉल टैक्स सरकार द्वारा उन कंपनियों पर लगाया जाता है, जिन्हें अचानक या असाधारण मुनाफा होता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो तेल उत्पादक कंपनियां अधिक मुनाफा कमाती हैं। इस अतिरिक्त मुनाफे पर टैक्स लगाकर सरकार बाजार में संतुलन बनाए रखने का प्रयास करती है।
इस टैक्स के बढ़ने से तेल कंपनियों की उत्पादन लागत में वृद्धि होती है, जिसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है। अब जब विंडफॉल टैक्स को समाप्त कर दिया गया है, तो कंपनियों की लागत में कमी आएगी, जिससे ईंधन की कीमतों में गिरावट की संभावना बढ़ गई है।
यदि तेल कंपनियां इस घटे हुए टैक्स का लाभ उपभोक्ताओं को देती हैं, तो आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। इस प्रकार, विंडफॉल टैक्स का सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है, और जैसे ही इस टैक्स में बदलाव होता है, आम जनता की जेब पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।