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वाराणसी : शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके हैं। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं और उनका गमन मुर्गा पर होगा। इसको लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि भगवती के हाथी पर आने के कारण देश में अत्यधिक वर्षा का योग बन रहा है। हाथी को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं मुर्गा पर गमन का अर्थ है कि देश में व्याकुलता और व्याग्रता की स्थिति बनेगी। नवरात्र की शुरुआत जिस दिन से होती है, मां दुर्गा की सवारी भी उसी दिन के आधार पर होती है।
कलश स्थापना
शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर रविवार से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर सोमवार तक चलेगा। ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी व नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि कलश स्थापना 15 अक्टूबर, रविवार को प्रातः काल से आरंभ होकर संध्या पर्यंत किया जाएगा, लेकिन दिन में 11:38 बजे से 12:23 बजे के मध्य अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना अत्यधिक शुभ फल देने वाला है।शक्ति आराधना के इस महापर्व नवरात्र में इस वर्ष किसी भी तिथि की क्षय या वृद्धि नहीं है। यह अपने आप में विशेष फलदायी है।
मूर्ति स्थापना
पूजन के क्रम में बिल्व वृक्ष के पास देवी को निमंत्रण 20 अक्टूबर को तथा पत्रिका प्रवेशन, सरस्वती पूजा और मूर्ति स्थापना 21 अक्टूबर को सायंकाल किया जाएगा। इसी दिन रात्रि में निशा पूजन संपन्न होगी। महाष्टमी का व्रत 22 अक्टूबर को तथा महानवमी व्रत एवं पाठ पूजन का हवन 23 अक्टूबर को होगा। नौ दिन का व्रत रखने वाले लोग पारणा 24 अक्टूबर को करेंगे तथा भगवती की प्रतिमा का विसर्जन भी 24 अक्टूबर मंगलवार को ही होगा।